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राजस्थान के पुरालेखीय स्त्रोत

 


            राजस्थान विविधताओं से भरा हुआ है | यहाँ इतिहास में देखों तो अलग अलग तरह से स्त्रोत प्राप्त हुए हैं | कुछ शिलालेखों से, कुछ अभिलेखों से, कुछ प्रसस्तीयों से , तो कुछ ताम्र लेखों से | इस भाग में हम पुरालेखीय स्त्रोंतों का जिक्र करने जा रहे हैं, जिसका अर्थ होता है की वो शब्दावली जो किसी राजा या वंश विशेष से सम्बन्ध रखती थी और जिसका उपयोग प्रशासनिक कार्यों हेतु किया जाता था |

पुरालेखीय स्त्रोत

  1. फरमान - मुग़ल बादशाह द्वारा जारी किया जाने वाला शाही आदेश
  2. हसबल हुक्म - बादशाह की सहमती के आधार पर शाही परिवार के सदस्यों द्वारा जारी किया जाने वाला आदेश
  3. सनद - मुग़ल बादशाह द्वारा अपने अधीन राजाओं को दी जाने वाली जागीर
  4. परवाना - मुग़ल शासकों द्वारा अधीन शासको के साथ किया जाने वाला पत्र व्यवहार
  5. खरीता - देसी शासकों के द्वारा एक दुसरे के साथ किया जाने वाला पत्र व्यवहार
  6. निशान -  शाही परिवार के सदस्यों द्वारा मुहर के साथ मनसबदारों के लिए जारी किया जाने वाला आदेश 
  7. वाक्या रिपोर्ट - किसी घटना विशेष की जानकारी
  8. बही - रियासतों के समस्त खर्चों का विवरण 
  9. कमठाना बही - निर्माण कार्यों से सम्बंधित जानकारी
  10. अड़सट्टा बही - जयपुर रियासत में भू-राजस्व से सम्बंधित जानकारी देने वाली बही
  11. पड़ाखा  बही - राजा के एक वर्ष की आय व्यय का ब्यौरा
  12. सियाह हुजूर - राजा तथा शाही परिवार के सदस्यों के खर्चों का विवरण 

राजस्थान से सम्बंधित अतिरिक्त शब्दावली जिसका इस्तेमाल इतिहास में हुआ हो :
  1. बढार - लड़की के विवाह के अवसर पर दिया जाने वाला सामूहिक प्रतिभोज
  2. ताजीम - किसी सामंत के दरबार में आने और वापस जाने के समय महाराणा खडा होकर सम्मान देता था 


उपरोक्त विषय में यदि कोई त्रुटी नजर आये तो निचे कमेंट से अवगत अवस्य कराये ताकि भविष्य हेतु सुधार किया जा सके |


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