January 24, 2023

Important Terminology of Library and Information Science

 इस भाग में हम पुस्तकालय विज्ञान से सम्बंधित शब्दावली जो मुख्य तौर पर हर जगह इस्तेमाल की जाती है जिसकी वजह से हम यह समझ पाएं की पुस्तकालय विज्ञान का वास्तविक उपयोग क्या है ? ये सभी मुख्य बिंदु परीक्षा उपयोगी तो हैं ही अपितु पुस्तकालय से सम्बंधित हर विषय को समझने हेतु बहुत ही उपयोगी है | तो आएये जाने कौन कौन से से मुख्य शब्द हैं इस शब्दावली में |



पुस्तकालय संगठन (Library organization) – पुस्तकालय संगठन का अर्थ पुस्तकालय में ऐसी योजना को स्थापित करना है जो पुस्तकों एवं सूचना के संदर्भ में सर्वोत्तम एवं कुशल सेवा उत्पादित कर सके।

पुस्तकालय प्रशासन (Library administration) – वह कार्य जो पुस्तकालय के विभिन्न क्रियाकलापों को मितव्ययिता पूर्ण ढंग से नियोजित करता है। कार्य में पुस्तकालयों के लिए नीतियों का निर्धारण करना, नीतियों का क्रियान्वित करने के लिए फंड की व्यवस्था करनाऔर उनका नियोजित करना हो सकते हैं।

ग्रीन बुक(Green book) –  इटली सरकार द्वारा हरे पृष्ठ के जिल्द में प्रकाशित एक सरकारी प्रतिवेदन

ब्लू बुक (Blue book) – इंग्लैंड सरकार के द्वारा निर्गत सरकारी प्रकाशन(एक प्रतिवेदन के रूप में) जो की नीले कागज के साथ मुद्रित होती है।

बिबलियोपोल(Bibliopole) –  ऐसे व्यक्ति जो मुख्यतः दुर्लभ ग्रंथ या महत्वपूर्ण ग्रंथ के व्यवसाय से संबंधित होते हैं।

बिबलियोक्लास्ट(Biblioclast) – ग्रंथ को नष्ट करने वाला व्यक्ति

एपोग्राफ – पांडुलिपि की एक प्रति

पुस्तक का मसौदा(Book draft) – एक बॉक्स जो पुस्तकालय बंद होते समय उपलब्ध कराया जाता है जिससे पाठक निर्गत कार्ड पुस्तकों को सुविधाजनक रूप से पुस्तकालय के खुलने का इंतजार किए बिना वापस उसमें रख सकते हैं।

सेल्फ गाइडिंग(Self guiding) – रेखा चित्रों के द्वारा रैकों के विषयों की व्यवस्था का ज्ञान कराना

प्रवाह चित्र(Flow chart) – पुस्तकालय प्रणाली तथा उप प्रणालियों के प्रत्येक क्षेत्र से संबंधित प्रत्येक प्रक्रिया, क्रियाकलाप एवं उनके आगे बढ़ने की दिशा की चित्रात्मक रूप में प्रस्तुति

लेखाकरण (Accounting) –  किसी संगठन के आर्थिक क्रियाकलापों से संबंधित सूचनाओं को विश्लेषण एवं व्यवस्थित विकास लेखाकरण है।   

लेखा परीक्षण (Auditing) –  किसी शासकीय(Official), अर्ध शासकीय अथवा अशासकीय निकाय या संगठन की वित्तीय लेनदेन संबंधी लेखा का पात्र व्यक्ति अथवा संगठन द्वारा परीक्षण एवं इन्वेस्टिगेशन (Investigation) लेखा परीक्षण होता है।

वेतन पंजिका (Salary Register) – ऐसी पंजिका जिसमें सभी कर्मचारियों के वेतन भत्ते संबंधित विवरण अंकित किए जाते हैं।

पूर्व दिनांकित(Pre-dated) – ऐसी पुस्तक जिसमें उसकी प्रकाशन की तिथि उसके वास्तविक तिथि से पहले की तिथि अंकित जाती है।

पश्च दिनांकित(Post dated) – ऐसी पुस्तक जिसमें उसकी प्रकाशन की तिथि उसके वास्तविक तिथि से बाद की तिथि अंकित जाती है।

कार्य विवरण (Job Description)-  किसी विशिष्ट कार्य का विवरणात्मक वास्तविक विवरण ही कार्य विवरण होता है।

कर्मिक नियोजन (Routine planning) – यह मानव शक्ति की भावी आवश्यकताओं को निर्धारित करने तथा उनकी पूर्ति के लिए कार्य योजनाओं को विकसित करने की विधि है।

आदेश की एकता का सिद्धांत (The principle of unity of order)- एक व्यक्तिगत कर्मचारी को एक प्रबंधक से आदेश प्राप्त करना चाहिए और वह कर्मचारी उस प्रबंधक के लिए जवाबदेह है। यदि कर्मचारी को एक से अधिक प्रबंधक द्वारा कार्य और संबंधित जिम्मेदारियां दी जाती हैं, तो इससे भ्रम पैदा हो सकता है, जिससे कर्मचारियों के लिए संभावित संघर्ष हो सकते हैं। इस सिद्धांत का उपयोग करके, गलतियों के लिए जिम्मेदारी को और अधिक आसानी से स्थापित किया जा सकता है। प्रत्येक कर्मचारी को केवल एक श्रेष्ठ या श्रेष्ठ की ओर से आदेश प्राप्त करना चाहिए।

यह भी देखें: Explain the Model Library Acts and Bills in India ?

पुस्तकालय समिति (Library committee) –  ऐसा समूह किसका संगठन किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पुस्तकालय में किया जाता है जो कि पुस्तकालय संबंधी मामलों में लाइब्रेरियन को सहायता प्रदान करता है और पुस्तकालय नीतियों का निर्धारण करता है।

पुस्तकालय समिति – समिति एक या एक से अधिक विशिष्ट व्यक्तियों का समूह होती है जिसका गठन किसी विशेष कार्य या उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

दैनिक प्रकाशित (Daily published) – इस प्रकार की आवधिकता हर दिन प्रकाशित होती है। इस प्रकार के आवधिक का सबसे अच्छा उदाहरण ’समाचार पत्र हैं’ में वे दैनिक अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राज्य, क्षेत्रीय और स्थानीय समाचार शामिल हैं।

द्वि-साप्ताहिक प्रकाशित (Bi-weekly published) – सप्ताह में दो बार द्वि-साप्ताहिक आवधिक प्रकाशित होते हैं।

साप्ताहिक प्रकाशित (Weekly Published) – साप्ताहिक आवधिक सप्ताह के एक विशेष दिन पर प्रकाशित होता है। जैसे आर्थिक और राजनीतिक साप्ताहिक, इंडिया टुडे, रोजगार समाचार आदि।

पाक्षिक प्रकाशित (Fortnightly published) –  यह आवधिक एक महीने में दो बार पंद्रह दिनों के अंतराल पर जारी किया जाता है। जैसे – कृषि विज्ञान डाइजेस्ट, कृषि प्रगति आदि

मासिक प्रकाशित (Monthly published) – इस प्रकार की आवधिकता हर महीने जारी की जाती है। एक वर्ष में बारह मुद्दे प्रकाशित किए जाते हैं, जैसे – भारतीय कृषि विज्ञान जर्नल, एनएएसी न्यूज़, जर्नल ऑफ़ लाइब्रेरी एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, लाइब्रेरी और सूचना प्रौद्योगिकी के जर्नल और प्रतियोगिता दर्पन इत्यादि।

द्वि-मासिक प्रकाशित (Bi-monthly published)– द्वि-मासिक आवधिक दो महीनों के लिए संयुक्त रूप से प्रकाशित होते हैं। जैसे – कृषि जाँच सूची।

त्रैमासिक प्रकाशित (Quarterly published) – त्रैमासिक आवधिक एक वर्ष में चार और तीन महीने के अंतराल पर प्रकाशित होते हैं। जैसे – Dnyngangotri,

अर्धवार्षिक प्रकाशित  (Half yearly published)– एक वर्ष में दो अंक प्रकाशित होते हैं।

वार्षिक प्रकाशित (Annual published) – आवधिक का केवल एक अंक एक वर्ष के लिए प्रकाशित किया जाता है। जैसे – ईयर बुक

अनियमित प्रकाशित (Randomly published) – इस प्रकार की आवधिकताओं के प्रकाशन के लिए कोई विशेष समय-सारणी आवंटित नहीं की जाती है।

लेजर (Ledger) – यह वह पुस्तिका होती है जिसमें सबसे ऊपर बजट विवरण होता है और सभी मदों में व्यय एवं विषय विवरण अंकित रहता है।

आवंटन पंजिका (Allocation Register) – इस पंजिका में विषय अनुसार लेखा या खाता बना होता है। इन विभिन्न शीर्षकों के अंतर्गत वित्तीय विवरण अंकित किए जाते हैं। पुस्तकालय में पुस्तक, स्टेशनरी, जिल्दबंद, सामयिकी आदि अनेक शिक्षकों के अंतर्गत अभिलेख रखे जा सकते हैं।

वर्कशीट (Worksheet) – पंक्ति युक्त ऐसी सीट जिस पर शीर्षक, अंक अथवा डाटा अंकित किया जा सके

पुस्तकालय नियम (Library rules)- पुस्तकालय को सुचारु रुप से संचालन करने के लिए समिति द्वारा बनाए जाने वाली पुस्तिका

कार्य विश्लेषण (job analysis) – किसी दिए गए कार्य को अलग अलग इकाइयों में  विश्लेषित करने की प्रक्रिया

प्रबंधन परिवर्तन (Change management) – परंपरागत पुस्तकालयों का हाइब्रिड(मिश्रित) डिजिटल पुस्तकालय में बदलना

समीक्षा का सिद्धांत (Review theory) –  नियंत्रण व्यवस्था का समय समय पर मूल्यांकन

ऑपरेशन रिसर्च(Operation research) –  किसी प्रणाली के समस्यागत संचालन में वैज्ञानिक विधियों, तकनीकीयों और उपकरणों का अनुप्रयोग  

अप्रमाणिक ग्रंथ(Apocryphal Book) – ऐसे ग्रंथ जो अज्ञात हो अर्थात जिस का लेखत्व संदेहप्रद(sceptical) हो

बुक ड्रॉप (Book drop) – ऐसा बॉक्स जो पुस्तकालय बंद होते समय पुस्तकालय द्वारा उपलब्ध कराया जाता है जिससे युजर निर्गत कार्ड पुस्तकों को सुविधाजनक रूप से पुस्तकालय के खुलने का इंतजार किए बिना वापस कर के उसमें रख सकते हैं।

पथ (Ausle) – दो समांतर पुस्तकों के निधानियों(Racks)के बीच का रास्ता

पुस्तक ट्राली(Book Trolly) – एक छोटा वाहन जिसका प्रयोग पुस्तकालय में पुस्तकों को लाने ले जाने में किया जाता है।

जंजीर पुस्तकालय(chained library) – ऐसा पुस्तकालय जिसमें पुस्तक को अलमारियों के साथ लोहे की जंजीर से बांधकर पीतल के फ्रेम(ढांचा) में रखा जाता था।

गेट रजिस्टर(Gate register) – पुस्तकालय द्वार पर एक रजिस्टर होता है जिसमें पुस्तकालय में आने वाले  पाठक की कुल संख्या नाम, पता, अक्षर इत्यादि दर्शाए होते हैं।

ग्रहीता कार्ड(Borrower Card) – वह कार्ड जो प्रत्येक पाठक को पुस्तकालय सदस्यता ग्रहण करने के बाद प्रदान किया जाता है जिस पर सदस्यता प्राप्त करने वाले का नाम, पता, सदस्य संख्या इत्यादि दर्शाए होते हैं।

वीथि संदर्शिकाओं [Bay(shelving) Guides] – वह संदर्भिका जो फलको(Panels)पर व्यवस्थित सब्जेक्ट  बुक के कक्ष की ओर निर्देशित करता है।

रणनीतिक योजना (strategic planning) – संगठनात्मक कार्य को सरल व कारगर बनाने हेतु साधन, यंत्रवाद तथा संरचनात्मक घटक प्रदान करने की विधि को रणनीतिक योजना कहते हैं।

यह भी देखें: What is NAAC and its chrateristics ? What is IASLIC and its chrateristics ?


Model Library Acts and Bills in India

पुस्तकालय एक सामाजिक जन संस्था है जो निरंतर समाज कल्याण में रहते हुए ज्ञानी और अज्ञानी को सामान रूप से ज्ञान वितरित करती है | एक पुस्तकालय में न तो सिमित उपयोगकर्ता होते हैं और न अध्ययन की कोई सिमित अवधि होती है | इसलिए आज इस भाग में Model Library Acts and Bills वर्णन करने जा रहा हूँ जो परीक्षा के लिए उपयोगार्थ है |



Model Library Act :

पहला मॉडल पब्लिक लाइब्रेरी एक्ट 1930 में डॉक्टर एस.आर. रंगनाथन द्वारा तैयार किया गया था और 1957 और 1972 में संशोधित किया गया था। 26 से 30 दिसंबर 1930 के दौरान बनारस में आयोजित all Asia educational conference में इसकी चर्चा हुई थी। इसे 1931 में पश्चिम बंगाल विधायिका में पेश किया गया था और मद्रास विधायिका में 1933 में। विधेयक को पुस्तकालय अनुदान, पुस्तकालय उपकर आदि समस्या के कारण पारित नहीं किया जा सका।

डॉ रंगनाथन ने 26 से 30 दिसंबर 1930 के दौरान बनारस में आयोजित all Asia educational conference में सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम का प्रारूप पेश किया था | 

Dr Velaga Venkatappaiah का योगदान :

Dr Velaga Venkatappaiah के द्वारा मॉडर्न लाइब्रेरी बिल 23 जून 1989 को तैयार किया गया |1995 में आधुनिक राज्य सार्वजनिक पुस्तकालय और सूचना सेवा अधिनियम (The modern state public library and Information Service act) के रूप में संशोधित किया गया। मॉडल अधिनियम को फिर से 2000 और 2005  में संशोधित किया गया था। 

Union Library Bill

फिर Union Library Bill(STATE LEVEL) 1951 में  Dr. S.R. Ranganathan के द्वारा तैयार किया गया | प्रो. पी.एन. कौला ने Jammu & Kashmir 1951 और Delhi (Then Part C State) 1954 के लिए लाइब्रेरी डेवलपमेंट प्लान और मॉडल लाइब्रेरी बिल तैयार किए थे |

यह भी देखें: What is NAAC and its chrateristics ? What is IASLIC and its chrateristics ?


Press and Registration of Book Act

“प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक एक्ट” (Press and Registration of Book Act) ब्रिटिश सरकार के द्वारा 1867 में पारित किया गया | यह एक नियामक कानून था जिसने सरकार को पंजीकरण की एक प्रणाली द्वारा प्रिंटिंग प्रेस और समाचार पत्रों को विनियमित करने और भारत में मुद्रित पुस्तकों और अन्य मामलों की प्रतियों को संरक्षित करने में सक्षम बनाया। लेकिन 1953 में प्रथम प्रेस आयोग की सिफारिशों के बाद 1955 में बड़े संशोधन किए गए, जिसके परिणामस्वरूप Registrar of Newspapers of India (RNI) का कार्यालय बनाया गया और 1956 में कार्य करना शुरू किया।

Press and Registration of Book Act 1867 के मुख्य उद्देश्य :

  1. अधिनियमों-कार्यक्षेत्रों के संबंध में कार्य और -बजट के प्रैस और पंजीकरण का प्रैस और प्रकाशन
  2.  प्रिटिंग प्रेस और समाचार पत्रों का नियमन करना।
  3.  भारत में छपी प्रत्येक पुस्तक और समाचार पत्र की प्रतियां संरक्षित और पंजीकृत करना।
  4.  गुमनाम साहित्य के प्रकाशन को रोकना।

British Museum और British Museum Act :

7 जून 1753 को संसद के एक अधिनियम ने ब्रिटिश संग्रहालय की स्थापना की। 15 जनवरी 1759 को ब्रिटिश संग्रहालय जनता के लिए खोला गया। यह पहली बार एक सत्रहवीं शताब्दी की हवेली, मोंटेगू हाउस में, आज की इमारत के स्थान पर ब्लूम्सबरी में रखा गया था। संग्रहालय का पहला सारांश गाइड 1903 में प्रकाशित हुआ था और पहला गाइड व्याख्याता 1911 में नियुक्त किया गया था। British Museum Act 1753 में बनाया गया बाद में संशोधन करके ब्रिटिश म्यूजियम एक्ट 1763 किया गया।

विशेष : Liverpool apprentices and mechanics library की स्थापना 1823 में हुई |


यह भी देखें: What is NISCAIR and INSDOC?



January 17, 2023

NAAC || IASLIC and its characteristics

              पुस्तकालय एक सामाजिक जन संस्था है जो निरंतर जन समाज में रहते हुए ज्ञानी और अज्ञानी को सामान रूप से ज्ञान वितरित करती है | इसका उद्देश्य सम्पूर्ण समाज को ज्ञान और शिक्षा के समन्वय के साथ प्रगति की और ले जाना है | इसीलिए आज इस भाग में हम NAAC & IASLIC से सम्बंधित भाग का वर्णन करने जा रहे है | 


NAAC का अर्थ :

  • NAAC का अर्थ है National Assessment and Accreditation Council
  • यह एक ऐसा संगठन है जो भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI=Higher Education Institute) का आकलन करता है और उसे मान्यता देता है। 
  • यह भारत सरकार के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा वित्त पोषित एक स्वायत्त निकाय है।
  • NAAC की स्थापना September 1994 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986) की सिफारिशों के जवाब में की गई थी जिसका मुख्यालय बैंगलोर में है। 
  • UGC का अध्यक्ष NAAC के सामान्य परिषद (General Council) का अध्यक्ष है, कार्यकारी समिति (Executive Committee) का अध्यक्ष, General Council (NAAC) के अध्यक्ष द्वारा नामित एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद है।
  • NAAC Official website: http://naac.gov.in/index.php/en/

NAAC के Chairman, President, Director क्रमानुसार हैं :
1. Professor Anil Sahasrabudhe (Chairman, EC)
2. Prof. Dhirendra Pal Singh (President, GC)
3. Prof Ganesan Kannabiran (Director)

NAAC के मुख्य उद्देश्य :

  1. गुणवत्ता सुधार पर ध्यान दे रहे हैं
  2. उच्च शिक्षा में नवाचार, स्व-मूल्यांकन और जवाबदेही को प्रोत्साहित करना
  3. संस्थानों को उनकी ताकत और कमजोरियों पर आत्म-बोध प्राप्त करने में मदद करना
  4. उत्कृष्टता के लिए संस्थानों के सभी पहलुओं में आवश्यक परिवर्तन, नवाचार और सुधार को बढ़ावा देना
  5. उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षण-अधिगम और अनुसंधान में गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए शैक्षणिक वातावरण को प्रोत्साहित करना
  6. गुणवत्ता-संबंधित अनुसंधान अध्ययन, परामर्श और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना
  7. गुणवत्ता मूल्यांकन, प्रचार और भरण-पोषण के लिए उच्च शिक्षा के अन्य हितधारकों के साथ सहयोग करना
यह भी देखें: What is NISCAIR and INSDOC?

IASLIC क्या है?

  • IASLIC का अर्थ Indian Association of Special Libraries and Information Centres.
  • भारत में स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत में विशेष लाइब्रेरियनशिप के पूरे क्षेत्र में विकास का समर्थन करता है। 
  • इसकी स्थापना L. Hora (Zoologist) ने 3 सितंबर 1955 को कोलकाता में की थी | 
  • IASLIC के पहले अध्यक्ष L. Hora और महासचिव श्री जे साहा (J Saha) को चुना गया |
  • इसका मुख्यालय Kankurgachi, kolkata (कंकुरगाछी, कोलकाता) में है | 
  • IASLIC का प्रधान कार्यालय कोलकाता में है |
  • Official Website: http://www.iaslic1955.org.in/

IASLIC के Publications: 

  • IASLIC बुलेटिन
    - IASLIC बुलेटिन पहली बार 1956 में प्रकाशित हुआ और
    - IASLIC बुलेटिन तिमाही (Quarterly) जारी होता है।
    - 2018 में इसके 63 वॉल्यूम है।
  • IASLIC Newsletters
    - Monthly
    - यह 1966 से प्रकाशित हो रहा है और
    - यह प्रिंट + ऑनलाइन स्वरूप में उपलब्ध होता है।]
  • इंडियन लाइब्रेरी साइंस एब्सट्रेक्ट
  • Resarch in Progress (2012 से)

IASLIC के विशेष Publications :
  • Roadmap to Usher in Knowledge Society(26th IASLIC Seminar 2014)
  • Intellectual Property Rights(25th IASLIC Seminar 2012)
  • Reading Habits in changing scenario(24th IASLIC Seminar, Gorakhpur, 2010)
  • Library Information System in Digital era(27th IASLIC Conference, Bhubaneswar, 2009)
  • Library Profession in Search of a New Paradigm(23th IASLIC Seminar, Kolkata, 2008)
  • Digital Media and Library Information Services(24th IASLIC Conference, New Delhi, 2007)
  • Open Source Movement – Asian Perspective(22th IASLIC Seminar, Roorkee, 2006)
  • LIS Profession in India: Vision for 2010(25th IASLIC Conference, Chennai, 2005)
  • Digital Information System & Services(20th IASLIC Seminar, Patiala, 2002)
  • Content Management in India(23rd IASLIC Conference, Thiruvanthapuram, 2001)
IASLIC के द्वारा किया गया प्रकाशन :
  • Dynamics of Planning & Marketing of Modern Libraries and Information Centers in an Information Technology-Based Environment (S. Seetharama Published in 2015)
  • The Indian National Library: Yesterday, Today and Tomorrow(Dr. J. N. Satpathi and Mr. P. N. Venkatachari; Published in 2013)
  • LIS Profession in the Changing Environment Professor Prabir Roychaudhury Memorial Volume(Ed. by Prof. Arjun Dasgupta; Published in 2011)
  • IASLIC: Challenges and Prospects(Ed. by Arjun Dasgupta and J. N. Satpathi)
नोट: Indian Library Science Abstract (ILSA) का प्रकाशन भी IASLIC के द्वारा किया जाता है |

IASLIC के कार्य :
  • IASLIC अनुसंधान और अध्ययनों का समन्वय करता है।
  • अल्पावधि प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित करता है।
  • सामान्य / विशेष बैठकें आयोजित करता है।
  • पुस्तकालयों और सूचना सेवाओं की मौजूदा समस्याओं पर वैकल्पिक वर्षों में सेमिनार और सम्मेलन आयोजित करता है और अन्य संबद्ध क्षेत्रों को थिसिस अवसरों पर चर्चा के लिए थीम के रूप में चुना जाता है।
  • पत्रिकाओं, मोनोग्राफ, मैनुअल, समाचार पत्र, पत्र, कार्यवाही और रिपोर्टों को भी प्रकाशित करता है।
 
यह भी देखें: Five laws of Library Science


January 16, 2023

NISCAIR || INSDOC || Its Relations

             पुस्तकालय एक सामाजिक जन संस्था है जो निरंतर जन समाज में रहते हुए ज्ञानी और अज्ञानी को सामान रूप से ज्ञान वितरित करती है | इसका उद्देश्य सम्पूर्ण समाज को ज्ञान और शिक्षा के समन्वय के साथ प्रगति की और ले जाना है | इसीलिए आज इस भाग में हम NISCAIR से सम्बंधित भाग का वर्णन करने जा रहे है | अब यह क्यों और कैसे अस्तित्व में आया है ? तो इसे जानने के लिए निचे उल्लेखित लेख को अवश्य पढ़ें |



What is NISCAIR and INSDOC?

INSDOC का पूर्ण रूप Indian National Scientific Documentation Centre है | INSDOC की स्थापना UNESCO के सहयोग से 1952 में हुई थी | INSDOC का मुख्यालय नई दिल्ली में है और बैंगलोर, कलकत्ता और मद्रास में एक क्षेत्रीय केंद्र भी है।

NISCAIR का पूरा नाम National Institute of Science Communication and Information Resources है | इसका पुराना नाम INSDOC है | यह 30 सितंबर 2002 को राष्ट्रीय विज्ञान संचार संस्थान (NISCOM: National Institute of Science Communication) और भारतीय राष्ट्रीय वैज्ञानिक प्रलेखन केंद्र (INSDOC) के विलय के साथ अस्तित्व में आया।

INSDOC के सन्दर्भ में:

भारतीय राष्ट्रीय वैज्ञानिक प्रलेखन केंद्र (INSDOC) पुस्तकालय, प्रलेखन और सूचना विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सेवाओं और प्रणालियों से निपटने वाला एक प्रमुख संगठन है। यह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR: Council of Scientific and Industrial Research) के तहत एक राष्ट्रीय प्रयोगशाला है जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सूचना और प्रलेखन सेवाएं प्रदान करती है तथा INSDOC ने CD-ROM से जानकारी प्राप्त करने की सुविधाओं के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक लाइब्रेरी डिवीजन की स्थापना की। INSDOC वैश्विक सूचना विनिमय लाने के लिए अन्य देशों के समकक्ष संस्थानों(IFLA,SAARC,FID) के साथ मिलकर काम करता है।

भारत में नेशनल अनुवाद सेवा(National translation service) भी इसी के द्वारा प्रदान की जाती है |

भारत में INSDOC ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास की सहायता से कनाडियन SDI निवेश द्वारा चयनात्मक सूचना प्रसार सेवा प्रारंभ किया है |

यह भी देखें: Five laws of Library Science

INSDOC से सम्बंधित क्षेत्र:

INSDOC के सक्षमता क्षेत्रों में शामिल हैं: लाइब्रेरी ऑटोमेशन, लाइब्रेरी नेटवर्क, कंप्यूटर नेटवर्किंग, इलेक्ट्रॉनिक लाइब्रेरी, सीडी-रोम नेटवर्किंग, डिज़ाइन और डेटाबेस का विकास, अंतर्राष्ट्रीय सूचना स्रोतों तक पहुँच, ऑन-लाइन सिस्टम, व्यवहार्यता अध्ययन और पुस्तकालय-सह-सूचना केंद्र डिज़ाइन, स्थापना और संचालन का प्रबंधन इत्यादि।

NISCAIR के सन्दर्भ में:

NISCAIR CSIR(Council of Scientific and Industrial Research) का भाग है |  वर्तमान में CSIR-NISCAIR के निदेशक(Director) डॉ रंजन अग्रवाल है | 

NISCAIR के मुख्य प्रकाशन में शामिल हैं:
(i) Indian science Abstracts (Sami monthly;1965),
(ii) Annals of Library and Information (Quarterly;1954)

NISCAIR से सम्बंधित अन्य बिंदु:

  1. TKDL - TKDL का पूरा नाम Traditional Knowledge Digital Library है और यह CSIR and AYUSH द्वारा विकसित किया गया है |
  2. NSDL - नेशनल साइंस डिजिटल लाइब्रेरी(NSDL) का उद्देश्य देश में विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के छात्रों को S&T की जानकारी प्रदान करना है।
  3. NUCSSI - नेशनल यूनियन कैटलॉग ऑफ साइंटिफिक सीरियल्स इन इंडिया (NUCSSI) पहला स्वदेशी डेटाबेस है जो जर्नल होल्डिंग्स तक जानकारी पहुंचने के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करता है। यह INSDOC(अब – NISCAIR) के द्वारा प्रकाशित किया जाता है |
  4. NOPR - NOPR का पूरा नाम NISCAIR Online Periodicals Repository है व इसके द्वारा Science Reporter (SR), Vigyan Pragati (VP) & Science Ki Duniya (SKD) and Natural Products and Repository (NPARR) जैसी लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका की मेजबानी की जाती है |
  5. Indian science Abstracts की प्रविष्टियां UDC की पद्धति के अनुसार ही व्यवस्थित होती है |
  6. सार्क(SAARC) देशों का निस्केयर में डॉक्यूमेंटेशन सेंटर 1985 वर्ष में स्थापित किया गया |

यह भी देखें: National Library of India (NLI)


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