September 8, 2022

राजस्थान की महत्वपूर्ण छतरियां

             जिस तरह राजस्थान अनूठा है अपनी इतिहास में, अपनी कला में ठीक उसी प्रकार राजस्थान की छतरियां जो की स्थापत्य कला का ही भाग हैं भी बड़ी अनूठी है जो विख्यात हैं अपने अपने इतिहास को लेकर | आएये जाने राजस्थान की उन वीर गाथाओं से भरपूर स्थलों के इतिहास को |


राजस्थान की महत्वपूर्ण छतरियां :

1. रैदास (स्वामी रविदास) की छतरी - चित्तौड़गढ
            चित्तौड़ किले में - कुम्भा श्याम मंदिर के अहाते में मीरा बाई मंदिर के सामने है | यह छतरी मीरा बाई के गुरु संत / सवामी रैदास की है |



2. गैटोर की छतरियां - नाहरगढ़ (जयपुर)
            कछवाहा राजवंश से सम्बंधित है। यह नाहरगढ़ किले की तलहटी में स्थित है | ये संगमरमर निर्मित कलात्मक छतरियां हैं | ये जयसिंह द्वितीय से मानसिंह द्वितीय की छतरियां है।

3. बड़ा बाग की छतरियां - जैसलमेर
            यहां भाटी शासकों की छतरियां स्थित है। यह महारावलों के शमशानों पर बनी कलात्मक छतरियों के लिए प्रसिद्ध है | महारावल जैतसिंह ने 1585 में जैतसर सरोवर का निर्माण करवाया  था | यहाँ क्षेत्रपाल जी का मंदिर भी स्थित है |

4. क्षारबाग की छतरियां - कोटा
            यहां हाड़ा शासकों की छतरियां स्थित है। ये कुल 66 छतरियां हैं | ये छतरियां बूंदी व कोटा दोनों जगह स्थित हैं |


5. देवकुण्ड सागर की छतरियां - रिड़मलसर (बीकानेर)
            राव बीकाजी व रायसिंह की छतरियां प्रसिद्ध है। शहर से 5 किमी दूर देवी कुण्ड सागर के सामने कल्याण सागर के पास अवस्थित बीकानेर राजघराने का निजी शमशान घाट है | इनमें से भी महाराजा सूरजसिंह की सफ़ेद संगमरमर निर्मित छतरी प्रसिद्ध है |

6. छात्र विलास की छतरी - 
कोटा


7. केसर बाग की छतरी - बूंदी

8. जसवंत थड़ा छतरी - जोधपुर
            यह छतरी सरदार सिंह द्वारा निर्मित है।

9. गोपाल सिंह यादव की छतरी - करौली

10. 6 खम्भों की छतरी - लालसौट (दौसा)

11. 8 खम्भों की छतरी - बांडोली (उदयपुर)
            यह वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की छतरी है। इसे महाराणा प्रताप की छतरी के नाम से भी जाना जाता है |

12. 16 खम्भों की छतरी - नागौर
            यह अमर सिंह की छतरी है जो राठौड वंशीय थे।

13. 32 खम्भो की छातरी - रणथम्भौर (सवाई माधोपुर)
            यह जयसिंह / जैत्रसिंह की छतरी है | यह छतरी हम्मीर देव के पिता की स्मृति की छतरी है | यह रणथम्भोर दुर्ग में निर्मित है |
            राजस्थान में दो स्थानों पर 32-32 खम्भों की छतरियां है। एक मांडल गढ (भीलवाड़ा) में स्थित 32 खम्भों की छतरी का संबंध जगन्नाथ कच्छवाहा से है व एक 
रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) में स्थित 32 खम्भों की छतरी हम्मीर देव चैहान की छतरी है।

14. 80 खम्भों की छतरी - अलवर
            इसे मूसी महारानी की छतरी भी कहते हैं | इस छतरी का निर्माण 1815 में विनयसिंह द्वारा करवाई गयी थी | यह मूसी महारानी व तत्कालीन महाराजा बख्तावर सिंह की स्मृति में बनवाई गयी थी | इसकी पहली मंजिल लाल पत्थर से व दूसरी मंजिल श्वेत संगमरमर से बनी हुई है |

15. 84 खम्भों की छतरी - बूंदी
            यह छतरी राजा अनिरूद्ध के माता देव की छतरी है जो राजा अनिरूद्ध के भ्राता देव द्वारा बनवाई गयी थी | इसका निर्माण 1683 ई. में करवाई गयी थी | यह छतरी भगवान शिव को समर्पित है जो की दो मंजिला है । इसके चबूतरे के चारों ओर विभिन्न पशु पक्षिओं आदि के चित्र पत्थर पर ऊकेरे गए हैं |


16. टंहला की छतरीयां - अलवर

17. राजा बख्तावर सिंह की छतरी - अलवर

18. आहड़ की छतरियां - 
उदयपुर
            इन्हे महासतियां भी कहते है क्योंकि यह छतरी सिसोदिया राजवंश या महासतियां की है |

19. राजा जोधसिंह की छतरी - बदनौर (भीलवाडा)

20. मानसिंह प्रथम की छतरी - आमेर (जयपुर)

21. गोराधाय की छतरी - 
जोधपुर
            राजा अजीत सिंह द्वारा 1711 ई. में अपनी धाय मां की स्मृति में यह छतरी बनवाई थी | आजादी के बाद में इसके पास ही गोरा धाय की एक और छतरी बनवा दी गयी |

22. रामगोपाल पोद्दार की छतरी - रामगढ़ (शेखावाटी)
            यह शेखावाटी संभाग की सबसे बड़ी छतरी है | इसके अलावा इस संभाग में कल्याण सिंह, हर दयाल सिंह, गोपाल सिंह (करौली) व माधो सिंह की भी छतरियां हैं |

23. मेवाड़ की छतरियां - आहड (उदयपुर)
            इसमें राणा अमरसिंह व राणा कर्ण सिंह की छतरियां हैं |

नोट : मंडोर (जोधपुर) - राजाओं की छतरियों एवं उद्यान के लिए प्रसिद्ध हैं |



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