Library Science अपने आप में एक बहुत बड़ा विषय है जिसे आप चाहें तो भी नकार नहीं सकते| इतिहास गवाह है की किताबों ने सदा हमारा विकास करने में ही मदद की है| आप जितना ज्ञान इकठ्ठा करते हो वो सारा का सारा ज्ञान आपके मस्तिष्क में Store रहता है उसे भी लाइब्रेरी ही कहते हैं| जब आपको किसी बात का जवाब देना होता है तो आप अपने दिमाग में उससे सम्बंधित stored library files से जानकारी इकठ्ठा करके जवाब दे देते हैं| ये भी एक तरह की लाइब्रेरी ही तो है| भले ही हम किसी बात को नजर अंदाज कर दें किन्तु जब से आपने जन्म लिया है लाइब्रेरी का सम्बन्ध आपसे तब से ही रहा है| आपके सभी पूर्वजों का भी रहा है| सरकार अगर इस बारें में कुछ विचार कर रही है तो हमारे दिमाग की लाइब्रेरी को बढाने के लिए ये एक अच्छा ही कदम होगा| कुछ भी पढने समझने के लिए आधारभूत ज्ञान का होना अति आवश्यक है| जैसे भाषा सीखने के लिए व्याकरण या Grammar का ज्ञान बहुत ही आवश्यक है ठीक वैसे ही हमें यह सीखना होगा की कौन सी किताबें हमारे हित में रहेगी और उसी को लाइब्रेरियन कहते हैं|
अभी 2 दिन पहले ही खबर पढ़ी की उत्तराखंड में heavy rainfall के कारण पढाई बाधित हो गयी है| बच्चों के स्कूल बंद हो गए हैं| ये सब इसी साल नहीं हुआ है, यह हर साल होता है| अनुमानित है की एक स्कूल में सामान्यत: 365 में से 182 दिन ही पढाई हो पाती है| अगर उत्तराखंड जैसे इलाकों की बात करें तो 100 दिन भी मुश्किल से पढ़ पातें हैं| इसलिए इनकी ओर ध्यान देना सरकार की अधिक जिम्मेदारी है| वहाँ पर इस समस्या के समाधान हेतु एक Horse Library चलाई जा रही है| सुनने में बड़ा अजीब लगता है| किन्तु Mobile Library Concept तो बहुत पहले से चला आ रहा है| अभी यहाँ घोड़े पर किताबें लाद कर बच्चों व अन्य लोगों तक भी पहुंचाई जा रही है| और इन सब में जो मुख्य बात है की आने वाली पीढ़ी का विकास हो जाए| ये सब अब हमारी ही तो जिम्मेदारी है| अभी वर्तमान समय में हुए एक सम्मलेन में सरकार ने Physical व Digital Library की बात राखी| ताकि हर घर पर अपनी ही एक लाइब्रेरी हो|
देखा जाए तो अन्य विकसित देशों की तुलना में हमें अभी शिक्षा पर और ध्यान देने की जरूरत है ताकि शिक्षा के स्तर को बढ़ाया जा सके| आने वाले पीढ़ी शिक्षा के महत्त्व को समझे| हर घर, हर गाँव, हर ब्लाक स्तर पर भी लाइब्रेरी हो| सरकार ने हर गाँव में एक लाइब्रेरी खोलने का निर्णय भी लिया है और यह लाइब्रेरी विकास की और एक उत्तम कदम है|
"पुस्तकालय विकास की वो सीढ़ी है जिससे स्वयं के ज्ञान की सीमा को बढ़ाया जा सके और समाज के कुखंडों को समाप्त किया जा सके|"
1. बुद्धि का विकास: लाइब्रेरी के उपयोग से हम ज्ञान के उच्चतम स्तर का विकास कर सकते हैं| e-library ने हमारे ज्ञान को बढाने में ही मदद की है| उत्तरखंड के लिए घोडा लाइब्रेरी एक अनूठा ही विचार है और कारगर भी है| बुद्धि के विकास में किताबें सदा से मित्र ही रही है|
2. पढने की आदत: इससे पढने की आदत मे भी सुधार होता है| किताबों में ज्ञान का वो खजाना छुपा है जिसे पाने के लिए आदमी सदा तैयार ही रहा है| किन्तु संसाधनों की समस्या सदा बनी रही| लाइब्रेरी में किताबें, समय की बचत, वातावरण, जिज्ञासा, सवालों के जवाब आदि अनेको विषयों में मदद मिली है| हमारी पढने की आदत से बच्चे भी सीखते हैं और अपने बचे हुए समय का सही उपयोग भी सीखते हैं|
3. किताबों को बढ़ावा देना: यह बात तो सत्य है की किताबों से सम्बन्ध पुराना ही रहा है| जब किताबों ने हमारे पुरखों की मदद की है तो वो हमारी भी मदद जरूर करेंगी| कितने प्राचीन ग्रन्थ हमारे यहाँ लिखे गए है| सब के सब उच्च कोटि के ग्रन्थ हैं| इसलिए किताबों का विकास भी हमारी ही जिम्मेदारी है| जब आप लाइब्रेरी का इतिहास पढेंगे तो पायेंगे की लाइब्रेरी को चलाने के लिए कुछ विद्वान किताबों को साइकिल पर रखकर लोगों तक पहुंचाते थे| अब हमारे पास संसाधनों की कमी भी नहीं है| फिर भी हमें इसके उच्च स्तर के बारे में सोचना ही होगा|
4. दूरदराज के इलाकों तक पहुंच: किताबों को अगर सम्पूर्ण भारत तक पहुँचाना है तो दूरदराज के इलाकों के बारे में भी सोचना हमारी जिम्मेदारी है| श्री रंगनाथन जी के प्रथम सूत्र के अनुसार "पुस्तकें उपयोगार्थ हैं" को पहले पूर्ण करना होगा| बाकी चार सूत्रों की पूर्ती प्रथम सूत्र पर ही टिकी हुई है| पुस्तकें सभी की उपयोग के लिए है| इसमें गरीब, अमीर, वर्ण से दूर, बीमार, विकलांग, कैदी आदि अनेको तरह के लोग जिनके बारें में लाइब्रेरी सदा से सामान ही रही है| बस इसी सोच के साथ हमें इन किताबों को दूरदराज के इलाकों तक भी पहुंचाना है|
5. मोबाइल लाइब्रेरी सिस्टम (Mobile Library System): मोबाइल लाइब्रेरी प्रणाली का भी विकास अब जोरों से बढ़ रहा है| एक कार एक क्षेत्र के चौराहे पर जाकर खड़ी हो जाती है और शाम तक वहीँ रहती है| जिन लोगों को किताबें खरीदनी हो खरीद सकता है, पढनी हो वहीँ बैठकर पढ़ सकता है, किराए पर चाहिए तो एक सप्ताह तक के लिए किराए पर मिल जाती है| शाम को सभी किताबें इकट्ठी कर चली जाती है और अगले सप्ताह फिर लौट आती है| शुरू में इसका कोई ख़ास प्रभाव तो नहीं पडा लेकिन धीरे धीरे इसनें भी काफी विकास किया है| और अब यही रणनीति उतराखंड में भी अपनाई जा रही है| जो बहुत सुभ समाचार है|
6. पुस्तकों के प्रकार: मैंने कहा था की श्री रंगनाथन जी के प्रथम सूत्र के अनुसार "पुस्तकें उपयोगार्थ हैं" को पहले पूर्ण करना होगा| इसी के बाद ही पुस्तकों के चयन की बात आती है| वहां पर लोगों को कौन सी किताबें अच्छी लगती हैं और अगले सप्ताह के लिए कौन सी किताबें चाहिए| किताबों के प्रकार का सही चयन भी लोगों को या कहें की पाठकों को आकर्षित करता है| कभी कभी किताबों के प्रकार में हुए गलत चुनाव से निराशा भी हाथ लगती है| किन्तु श्री रंगनाथन जी के दुसरे और तीसरे सूत्र के अनुसार पुस्तकें पाठक के अनुसार हो| ताकि पाठकों को उनकी जरूरत की पुस्तकें मिल सकें| साथ ही सभी उपलब्ध पुस्तकों को उनका पाठक दिलाना भी जिम्मेदारी ही है| सही चयन से समय भी बचता है|
इन सभी विषयों पर विचारने और अपनाने से मनुष्य की आदतों और विकास में बहुत बदलाव देखने को मिले हैं| अब जब आप सब यह लेख पढ़ रहे हैं तो आप भी एक छोटी सी जिम्मेदारी लीजिये| एक शुरुआत कीजिये| यदि बाहर अभी संभव नहीं है तो घर पर ही कीजिये| रोज या सप्ताह में एक समय निकालिए और कोई भी जो आपको पसंद हो उस पुस्तक का चयन करें| घर के सभी सदस्यों को एक जगह एकत्र कर उन्हें वो किताब पढ़कर सुनाएं | ताकि बच्चे भी ये सीख सकें और घर में एकता, समर्पण, वाचन सुधार, शुद्ध शैली, सहयोग, विचार विमर्श, सही गलत में अंतर आदि अनेक आदतों में सुधार किया जा सके और इसके होने की 100% गारंटी है| तब जाकर यहीं से "हर घर लाइब्रेरी" की शुरुआत होगी|
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