भारत राजस्थान की जीडीपी में पशुपालन एवं पशु उत्पाद का योगदान 10.30% है। राज्य में पशुगणना के आंकड़े 5 वर्ष की अवधि में राजस्व विभाग एवं पशुपालन निदेशालय, अजमेर द्वारा ही जारी किये जाते है। नवीनतम पशुधन के आंकड़े 2017 के हैं जो 2019 में 20वी पशुगणना के रूप में जारी किये गए थे | भारत में प्रथम पशुगणना 1919 में आयोजित की गई।
भारत के सन्दर्भ में :
कुल पशुधन की संख्या = 53.5 करोड़ (535 मिलियन)
[विगत पशुगणना की तुलना में 4.63% अधिक है]
प्रथम स्थान पर = उत्तर प्रदेश (6.8 करोड़)
द्वितीय स्थान पर = राजस्थान (5.68 करोड़)
[यहाँ भारत के कुल पशुधन का 10.6% पाया जाता है]
भारत में उपस्थित कुल पशुधन में :
1. गौवंश (19 करोड़) 2. बकरी (14.8 करोड़) 3. भैंसवंश (10 करोड़)
पशुधन उपलब्धता की दृष्टि से :
1. ऊंट, गधा, बकरी 2. भैंस 3. घोड़े 4. भेड़ 5. गौवंश
राजस्थान में पशुधन की स्थिति : (20वी पशुगणना के अनुसार)
कुल संख्या = 5.68 करोड़
[विगत पशुधन की तुलना में 1.35% कम]
सर्वाधिक पशुधन के अंतर्गत : बकरी (लगभग 2 करोड़)
गौवंश व भैंस की संख्या में वृद्धि हुई है व अन्य पशुधन की तुलना में कमी आई है |
प्रतिशत रूप में सर्वाधिक कमी गधों की संख्या में हुई है लगभग 71% है |
राजस्थान में सम्पूर्ण भारत का प्रतिशत :
गौवंश का 7.23%, भैंसवंश का 12.47%, बकरियों का 14%,
भेड़ों का 10.64% ऊँटों का 84%
राजस्थान में पशुओं की प्रमुख नश्लें व उनकी विशेषताएं
1. गौवंश :
सर्वाधिक : उदयपुर
न्यूनतम : धौलपुर
कुल : 1.39 करोड़
राजस्थान में गौ वंश बहुतायत में पाया जाता है। और राजस्थान के लगभग सभी हिस्सों में गाय पाई जाती है। राजस्थान के अलग अलग हिस्सों में विभिन्न प्रजातियों की गाएं पाई जाती है। साथ ही राजस्थान में विदेशी नस्लों की गाएं भी पाई जाती है। भारत में राजस्थान का गोवंश में छठा स्थान है।
राजस्थान में गाय की विभिन्न नस्लें:
- गीर
क्षेत्र : बूंदी, अजमेर, भीलवाड़ा, किशनगढ़, चित्तौड़गढ़
मूल स्थान : गुजरात
विशेषता : अन्य नाम अजमेरी अथवा रेंडा । यह अधिक दूध देने के लिए प्रसिद्ध है। - थारपारकर
क्षेत्र : जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर में सांचौर
मूल स्थान : मालानी गांव जैसलमेर
विशेषता : मालवी व सिन्धी नस्ल प्रसिद्ध है - नागौरी
क्षेत्र : नागौर, पूर्वी जोधपुर, बीकानेर का नोखा
मूल स्थान : नागौर का सुहालक
विशेषता : नागौरी बैल जोड़ने हेतु प्रसिद्ध - राठी
क्षेत्र : बीकानेर, जैसलमेर, श्रीगंगानगर, चूरू
विशेषता : लाल सिंधी व साहिवाल की मिश्रित नस्ल, जो दूध देने में अग्रणी है | राजस्थान की कामधेनु भी कहा जाता है। - कांकरेज
क्षेत्र : जोधपुर, बाड़मेर सांचौर नेहड़ क्षेत्र, जालौर
मूल स्थान : गुजरात का कच्छ का रण
विशेषता : बोझा ढोने व दुग्ध उत्पादन हेतु प्रसिद्ध | - हरियाणवी
क्षेत्र : चूरू, सीकर, झुंझुनू , गंगानगर, हनुमानगढ़,जयपुर
मूल स्थान : रोहतक, हिसार हरियाणा में
विशेषता : दुग्ध भार वाहन दोनों दृष्टियों से उपयुक्त - मालवी
क्षेत्र : झालावाड़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, कोटा, बारां, उदयपुर
मूल स्थान : मध्य प्रदेश का मालवा क्षेत्र)
विशेषता : मुख्यतया भारवाही नस्ल | अलवर भरतपुर में हल जोतने हेतु प्रसिद्ध | - सांचोरी
क्षेत्र : सांचौर, उदयपुर, पाली, सिरोही
विशेषता : दुग्ध उत्पादन हेतु प्रसिद्ध | - मेवाती
क्षेत्र : अलवर भरतपुर
विशेषता : कोढ़ी
विदेशी नस्लें :
- जर्सी गाय – यह नस्ल मूलतः अमेरिकी है ।यह सर्वाधिक दूध देने हेतु प्रसिद्ध है।
- होलिस्टिन गाय – होलिस्टिन गाय का मूल स्थान होलैंड व अमेरिका है। यह भी अधिक दूध देती है।
- रेड डेन गाय – रेड डेन का मूल स्थान डेनमार्क है
2. भैंसवंश :
सर्वाधिक : अलवर
न्यूनतम : जैसलमेर
कुल : 1.37 करोड़
- मुर्रा
क्षेत्र : जयपुर, अलवर, भरतपुर, उदयपुर, गंगानगर
मूल स्थान : पकिस्तान का मोंटगोमरी
विशेषता : राजस्थान में सर्वाधिक संख्या वाली नस्ल, भेस की सर्वोत्तम नस्ल। सुंडी भी कहा जाता है | - जाफराबादी
क्षेत्र : बाड़मेर, जालौर, दक्षिणी जोधपुर
मूल स्थान : गुजरात
विशेषता : – सर्वाधिक शक्तिशाली नस्ल। - सूरती
क्षेत्र : उदयपुर, डूंगरपुर
मूल स्थान : गुजरात
विशेषता : – दूध के लिए प्रसिद्ध।
3. भेड़ :
सर्वाधिक : बाड़मेर
न्यूनतम : धौलपुर
कुल : 79 लाख
देश में भेड़ों की संख्या के आधार पर राज्य का चौथा स्थान है |
भेड़ों की नस्लें
- चोकला भेड़
क्षेत्र : झुंझुनू ,सीकर ,चूरू, बीकानेर व जयपुर
विशेषता : इसे छापर एवं शेखावाटी के नाम से भी जाना जाता है। इसे भारत की मेरिनो कहा जाता है ।इससे प्राप्त हुई फाइन मध्यम किस्म का है। - मालपुरी भेड़
क्षेत्र : जयपुर, टोंक, सवाई माधोपुर ,बूंदी ,अजमेर ,भीलवाड़ा
विशेषता : उन मोटी होने के कारण गलीचे के लिए उपयुक्त है। इसे देसी नस्ल भी कहा जाता है। - सोनाड़ी भेड़
क्षेत्र : उदयपुर, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़ ,बांसवाड़ा भीलवाड़ा
विशेषता : इसे चर्नोथर भी कहतें हैं | इसके कान बहुत लम्बे होते हैं | - पूगल भेड़
क्षेत्र : बीकानेर के पश्चिमी भाग, जैसलमेर ,नागौर
विशेषता : मध्यम व मोती ऊन के लिए प्रसिद्ध | - मगरा भेड़
क्षेत्र : बीकानेर जैसलमेर और नागौर
विशेषता : इसे चाकरी व बीकानेरी चोकला भी कहा जाता है । - नाली भेड़
क्षेत्र : गंगानगर झुंझुनू सीकर बीकानेर चूरू
विशेषता : इसकी ऊन घने व लंबे रेशे वाली व मोती ऊन होती है। - मारवाड़ी भेड़
क्षेत्र : जोधपुर बाड़मेर पाली सिरोही
विशेषता : मध्यम श्रेणी की ऊन व मांस के लिए जानी जाती है | - जैसलमेरी भेड़
क्षेत्र : जैसलमेर जोधपुर बाड़मेर में पश्चिमी भाग
विशेषता : सर्वाधिक ऊन इस नस्ल की भेड़ों से प्राप्त होती है। - खेरी
क्षेत्र : जोधपुर, पाली, नागौर
विशेषता : ऊन गलीचे कार्य में काम आती है |
भेड़ों की विदेशी नस्लें
- रूसी मैरिनो भेड़ – टोंक, सीकर, जयपुर में बहुतायत में पायी जाती है।
- रेडबुल भेड़ – टोंक
- कोरिडेल भेड़ – टोंक में बहुतायत में पायी जाती है।
- डोर्सेट भेड़ – चित्तौड़गढ़ में बहुतायत में पायी जाती है।
4. बकरी :
सर्वाधिक : बाड़मेर
न्यूनतम : धौलपुर
कुल : 2.084 करोड़
राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है। नागौर जिले का वरुण गांव बकरियों के लिए प्रसिद्ध है।
बकरी की नस्लें
- मारवाड़ी या लोही बकरी
क्षेत्र : जोधपुर, पाली, नागौर, बीकानेर, जैसलमेर ,बाड़मेर, दक्षिणी चुरू
विशेषता : राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाई जाती है । मांस के लिए जानी जाती है। इसके शरीर से प्राप्त होने वाले बाल, गलीचे बनाने के काम आते हैं। - जखराना या अलवरी
क्षेत्र : बहरोड़ (झखराना गांव )अलवर, उत्तर जयपुर
विशेषता : यह अधिक दूध देने के लिए प्रसिद्ध है। - बारबरी
क्षेत्र : धौलपुर भरतपुर अलवर करौली सवाई माधोपुर
विशेषता : अधिक दूध देने के लिए प्रसिद्ध। - सिरोही
क्षेत्र : अरावली पर्वतीय क्षेत्र
विशेषता : मांस के लिए उपयुक्त। - परबतसर
क्षेत्र : परबतसर (नागौर), अजमेर, जयपुर
विशेषता : अधिक दूध देने के लिए प्रसिद्ध। - जमुनापारी
क्षेत्र : कोटा बूंदी झालावाड़ (हाड़ौती क्षेत्र)
विशेषता : अधिक मांस व दूध देने हेतु प्रसिद्ध है। - शेखावटी
क्षेत्र : सीकर, झुंझुनू
विशेषता : बिना सिंग वाली नस्ल हैं। विकास काजरी के द्वारा किया गया | दूध और मांस के लिए प्रसिद्ध |
5. ऊंट :
सर्वाधिक : बाड़मेर
न्यूनतम : बाँसवाड़ा
कुल : 2.13 लाख
भारत में राजस्थान का ऊंट के सन्दर्भ में प्रथम स्थान है | बाड़मेर बीकानेर चूरू में सर्वाधिक हैं | नाचना ऊँट नामक नस्ल अपनी सुंदरता एवं बोझा ढोने के लिए प्रसिद्ध है |
- बीकानेर
क्षेत्र : बीकानेर नागौर, जोधपुर, चुरू, गंगानगर
विशेषता : भारवाहन में उपयोगी - जैसलमेरी
क्षेत्र : जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बोकानेर
विशेषता : यह रेतीले भाग में सवारी करने में काम में आता है | जैसलमेरी ऊंटों से जुडी हुई रेबारी जाती प्रसिद्ध है |
6. घोड़ा :
सर्वाधिक : बाड़मेर
न्यूनतम : बाँसवाड़ा
कुल : 3.4 लाख
- मालाणी
क्षेत्र : बाड़मेर के गुढ़ामालानी
विशेषता : घुड़दौड़ में उपयोगी - मारवाड़ी
क्षेत्र : जैसलमेर, बाड़मेर, पाली, जालौर
विशेषता : भारवाहन - बाड़मेर की प्रसिद्ध काठियावाड़ी नस्ल|
- सबसे उन्नत नस्ल की मुर्गियाँ अजमेर में पायी जाती है ।
- नस्लें – असील, बरसा, टेनी, वाइट लेगहॉर्न,इटेलियन।
- कड़कनाथ योजना - बांसवाड़ा में मुर्गी पालन के लिए चलायी गयी योजना।
- राजकीय कुक्कुट प्रशिक्षण केंद्र अजमेर में है । राज्य कुक्कुट फार्म जयपुर में है ।
# राज्य सरकार ने पशुओं से सम्बंधित "मुख्यमंत्री पशुधन निःशुल्क दवा योजना" की शुरुआत की | पशुधन की चिकित्सा हेतु सर्वाधिक उपयोग में आने वाली आवश्यक दवाईयां निःशुल्क उपलब्ध कराने की दृष्टि से “मुख्यमंत्री पशुधन निःशुल्क दवा योजना” 15 अगस्त, 2012 से प्रारम्भ की गई।
उपरोक्त सभी बिन्दुओं के मुख्य अंशों को सूची में दर्शाया गया है जो आपके लिए बहुपयोगी साबित होगी|
# कुछ अन्य पहलू :
राज्य में पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग शीर्ष स्तर की संस्था है | जिसे अब पशुपालन विभाग के नाम से जाना जाता है | इसे ही गोपालन विभाग भी कहते हैं |
राजस्थान में पशुधन एवं अनुसन्धान हेतु शीर्ष संस्था बीकानेर की राजुवास विश्वविद्यालय (राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञानं) है | जिसकी स्थापना 2010 में की गयी थी |
- पश्चिमी क्षेत्रीय बकरी अनुसंधान केंद्र = अविकानगर (टोंक)
- राष्ट्रिय ऊंट अनुसंधान केंद्र = जोहड़बीड (बीकानेर)
- केन्द्रीय पशु प्रजनन केंद्र = सूरतगढ़
- पशुधन अनुसंधान केंद्र = वल्लभनगर (उदयपुर)
- मरवास अश्व प्रजनन एवं अनुसंधान केंद्र = जोधपुर
- केन्द्रीय भेड़ एवं अनुसंधान केंद्र = अविकानगर (टोंक)
- भेड़ एवं ऊन प्रशिक्षण केंद्र = जयपुर
- भेड़ प्रजनन केंद्र = फतेहपुर (सीकर)
- राजस्थान पशु विकास बोर्ड = लालकोठी (जयपुर)
- किस पशु को राजकीय पशु घोषित किया गया है - ऊंट
- किस देश को ऊंटों की तश्करी होती है - बांग्लादेश को
- किस बाँध में रंगीन मछलियों का उत्पादन होता है - टोंक जिले के बीसलपुर बाँध में | इसमें राज्य सरकार द्वारा एक्वाकल्चर आरम्भ किया जाएगा जिसके तहत रंगीन मछलियों की ब्रीडिंग करवाई जायेगी |
- देश के दुग्ध उत्पादन में राजस्थान का कितना हिस्सा है - 10%
- दुग्ध उत्पादन में राजस्थान का देश में स्थान - दूसरा (प्रथम = उत्तर प्रदेश)
- देश की दूसरी दुग्ध परीक्षण एवम अनुसंधान प्रयोगशाला कहाँ खोली गयी है - जयपुर में (प्रथम = हरियाणा )
- मुख्यमंत्री पशु निशुल्क दवा योजना क्या है - इस योजना में पशुधन के सर्वाधिक उपयोग में आने वाली 110 आवश्यक दवाइयां एवं 13 सर्जिकल/ड्रैसिंग मैटीरियल निःशुल्क उपलब्धत कराया जाता है।
- राज्य में नयी पशुधन निति कब घोषित की गयी - 18 फरवरी 2010
- गौधन एवं भैंसों का कितना हिस्सा खेती एवं परिवहन के काम आता है - गौधन का 50% एवं भैंसों का 25%
- राज्य की कितनी प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या की घरेलू आय का माध्यम पशुपालन है - 80%
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