इस भाग में हम चर्चा करेंगे राजस्थान से सम्बंधित उसके नामकरण जिनको अलग अलग इतिहासकारों ने भिन्न भिन्न नाम से दर्शाया है | फिर वो चाहे राजस्थान के लेखक हो चाहे विदेशी लेखक हों, किन्तु यह तो तय था की राजस्थान का इतिहास बड़ा विशाल रहा है | जिसको किसी एक किताब में उतारना मुश्किल ही नहीं अपितु नामुमकिन है |
वास्तव में राजस्थान का अर्थ होता है - राजाओं का स्थान |
ब्रह्मवर्त - ऋग्वेद काल में
मरूकांतार - महर्षि वाल्मीकि ने
मरूभूमि - अबुल फजल द्वारा
राजपूताना - जोर्ज थॉमस द्वारा - 1800 ई. में कहा गया | यह सबसे पहले शेखावाटी आया था | राजपूताना शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग लेने वाला प्रथम अंग्रेज था | यह प्राचीन व मौखिक नाम है | जोर्ज थॉमस की मृत्यु बीकानेर में हुई थी |
नोट : जोर्ज थॉमस ग्वालियर का शासक दौलत राव सिंधिया का कमांडर था और विलियम फ्रेंकलिन (लन्दन) इसका मित्र था |
राजस्थानियादित्य - बसंतगढ़ शिलालेख में ही पहली बार इसका प्रयोग हुआ |
राजपूताना का लिखित प्रमाण - 1805 में विलियम फ्रेंकलिन (लन्दन) द्वारा लिखित "द मिलट्री मेमायर्स इन मिस्टर जोर्ज थॉमस" पुस्तक में मिलता है |
भाषा के आधार पर राजस्थानी नाम देने वाले प्रथम व्यक्ति - जोर्ज अब्राहिम ग्रियर्सन थे |
"एनाल्स एंड एंटीक्यूटीज ऑफ़ राजस्थान" - कर्नल जेम्स टॉड द्वारा (1829 में)
- लन्दन में अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित
- जोधपुर के शासक मानसिंह के कहने पर यह पुस्तक लिखी गयी |
- इसका हिंदी अनुवाद पं. गोरीशंकर हीराचंद ओझा ने किया |
- पहली बार तीन नए नाम दिए गए:
रायथान - शासकों का निवास स्थल
रजवाड़ा - राज्य रजवाड़ों या राजपूतों के कारण
राजस्थान - भौगोलिक क्षेत्र के लिए
नोट : कर्नल जेम्स टॉड के गुरु का नाम यतिज्ञानचन्द्र जैन था |
"The Central & Western Rajput State of India" - 1832 में
- कर्नल जेम्स टॉड द्वारा लन्दन में प्रकाशित
- यह पहली पुस्तक का दूसरा खंड है |
- इसमें रेवासा झील का भी वर्णन है |
कर्नल जेम्स टॉड:
इनका उपनाम घोड़े वाले बाबा व राजपूताने इतिहास का पितामह है | यह स्कॉटलैंड के निवासी थे | ये 1817 में राजस्थान में सर्वप्रथम मांडलगढ़, भीलवाडा आये | 1822 में मारवाड़ रियासत का पोलिटिकल एजेंट बनाया गया | 1835 में इनकी मृत्यु हो गयी |
"मुहणोत नैणसी री ख्यात", वीरभान के "राजरूपक" में राजस्थान शब्द का उल्लेख है |
राजस्थान एकीकरण के दुसरे चरण में 25 मार्च 1948 को राजस्थान को "पूर्वी राजस्थान संघ" नाम दिया गया |
राजस्थान नाम विधिवत रूप से 26 जनवरी 1950 को एकीकरण के छठे चरण के दौरान दिया |
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