July 23, 2022

राजस्थान के पुरालेखीय स्त्रोत

 


            राजस्थान विविधताओं से भरा हुआ है | यहाँ इतिहास में देखों तो अलग अलग तरह से स्त्रोत प्राप्त हुए हैं | कुछ शिलालेखों से, कुछ अभिलेखों से, कुछ प्रसस्तीयों से , तो कुछ ताम्र लेखों से | इस भाग में हम पुरालेखीय स्त्रोंतों का जिक्र करने जा रहे हैं, जिसका अर्थ होता है की वो शब्दावली जो किसी राजा या वंश विशेष से सम्बन्ध रखती थी और जिसका उपयोग प्रशासनिक कार्यों हेतु किया जाता था |

पुरालेखीय स्त्रोत

  1. फरमान - मुग़ल बादशाह द्वारा जारी किया जाने वाला शाही आदेश
  2. हसबल हुक्म - बादशाह की सहमती के आधार पर शाही परिवार के सदस्यों द्वारा जारी किया जाने वाला आदेश
  3. सनद - मुग़ल बादशाह द्वारा अपने अधीन राजाओं को दी जाने वाली जागीर
  4. परवाना - मुग़ल शासकों द्वारा अधीन शासको के साथ किया जाने वाला पत्र व्यवहार
  5. खरीता - देसी शासकों के द्वारा एक दुसरे के साथ किया जाने वाला पत्र व्यवहार
  6. निशान -  शाही परिवार के सदस्यों द्वारा मुहर के साथ मनसबदारों के लिए जारी किया जाने वाला आदेश 
  7. वाक्या रिपोर्ट - किसी घटना विशेष की जानकारी
  8. बही - रियासतों के समस्त खर्चों का विवरण 
  9. कमठाना बही - निर्माण कार्यों से सम्बंधित जानकारी
  10. अड़सट्टा बही - जयपुर रियासत में भू-राजस्व से सम्बंधित जानकारी देने वाली बही
  11. पड़ाखा  बही - राजा के एक वर्ष की आय व्यय का ब्यौरा
  12. सियाह हुजूर - राजा तथा शाही परिवार के सदस्यों के खर्चों का विवरण 

राजस्थान से सम्बंधित अतिरिक्त शब्दावली जिसका इस्तेमाल इतिहास में हुआ हो :
  1. बढार - लड़की के विवाह के अवसर पर दिया जाने वाला सामूहिक प्रतिभोज
  2. ताजीम - किसी सामंत के दरबार में आने और वापस जाने के समय महाराणा खडा होकर सम्मान देता था 


उपरोक्त विषय में यदि कोई त्रुटी नजर आये तो निचे कमेंट से अवगत अवस्य कराये ताकि भविष्य हेतु सुधार किया जा सके |


July 20, 2022

राजस्थान के पर्यटन विभाग के मेले (RTDC)

 


            जिस तरह राजस्थान में लोक देवता, लोक देवी व पशुओं के मेले भरे जाते हैं ठीक उसी प्रकार पर्यटन विभाग के मेले (RTDC) भी भरे जाते हैं | आएये जाने वो कौन कौनसे मेले हैं :  

राजस्थान में सर्वाधिक विदेशी पर्यटक आते हैं - जयपुर में (फ्रांस व ब्रिटेन से)
राजस्थान में सर्वाधिक स्वदेशी पर्यटक आते हैं - अजमेर में 

नोट : अजमेर भारत में इस्लाम धर्म का सबसे बड़ा केंद्र है, इसलिए इसे भारत का मक्का कहा जाता है |

पर्यटन विभाग के मेले या महोत्सव

  1. ऊंट महोत्सव - बीकानेर
    नोट : राष्ट्रिय ऊंट अनुसन्धान केंद्र = जोहड़बीड (बीकानेर)
  2. थार महोत्सव - बाड़मेर
  3. मरू महोत्सव - जैसलमेर
    मुख्य केंद्र : सम सैंड ड्यूम (जैसलमेर)
  4. हाथी महोत्सव - कुंडा गाँव, आमेर 
    - जयपुर का प्रसिद्ध है
    - यह भारत का प्रथम हाथी गाँव हैं 
    - कुंडा गाँव विश्व का तीसरा हाथी गाँव है, श्रीलंका व् थाईलैंड के बाद |
  5. एडवेंचर स्पोर्ट्स - जयपुर
  6. बैलून फेस्टिवल - बाड़मेर
  7. पतंग महोत्सव - जयपुर
    - यह महोत्सव माउंट आबू, जैसलमेर, बाड़मेर में भी प्रसिद्ध है |
  8. शरद महोत्सव - माउंट आबू
  9. ग्रीष्म महोत्सव - माउंट आबू
  10. एडवेंचर फेस्टिवल - माउंट आबू
  11. मत्स्य महोत्सव - अलवर
  12. ब्रज महोत्सव - भरतपुर
  13. डांग महोत्सव - करौली
  14. गोल्डन ट्रायंगल (स्वर्णिम त्रिकोण)- दिल्ली-जयपुर-आगरा
  15. डेजर्ट ट्रायंगल (मरू त्रिकोण) - जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर
  16. शेखवाटी सर्किट - सीकर, झुंझुनू, चुरू
  17. पुष्कर सर्किट - अजमेर, नागौर
  18. बुद्धा सर्किट - जयपुर, अजमेर
    - बौध धर्म का मुख्य केंद्र - बैराठ
पर्यटन सर्किट 

 


  1. मरू सर्किट - जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर
  2. मेरवाड़ा सर्किट - अजमेर, पुष्कर, मेड़ता, नागौर
  3. गौडवाड़ सर्किट - पाली, सिरोही, जालौर
  4. वाग्गड़ सर्किट - बाँसवाड़ा, डूंगरपुर
  5. मेवाड़ सर्किट - राजसमन्द, चित्तौड़, भीलवाडा
  6. हाडौती सर्किट - कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड
  7. ढूंढाड सर्किट - जयपुर, दौसा, अजमेर
  8. ब्रज मेवात सर्किट - अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, टोंक
  9. शेखावाटी सर्किट - सीकर, झुंझुनू

विशेष विषय : यदि आप राजस्थान के प्रमुख मेले व पशु मेले पढना चाहते है तो  निचे लिंक पर क्लिक करें :
            प्रमुख मेले - Click Here
            पशु मेले - Click Here


    
        उपरोक्त महोत्सव परीक्षा को ध्यान में रखकर उपलब्द करवाए गए हैं | यदि इनमें कोई त्रुटी रह गयी हो तो समय पर कमेन्ट के माध्यम से अवगत करायें, ताकि समय पर सुधार किया जा सके |

July 13, 2022

राजस्थान के प्रमुख मेले

 


            राजस्थान कला और संस्कृति से भरा हुआ प्रदेश है यहाँ हर माह में किसी न किसी प्रकार का आयोजन होता ही रहता है | आज जो हम जिक्र करने जा रहे हैं वह अपने आप में एक मत्वपूर्ण विषय है "राजस्थान के मेले" | राजस्थान राज्य के सभी जिलों में विभिन्न मेलों का आयोजन प्रति वर्ष होता है | यहां पर आयोजित होने वाले सभी मेले राजस्थान में नहीं बल्कि पूरे भारत में प्रसिद्ध है।  राजस्थान का पशु मेला भी बहुत प्रसिद्ध मेला है। जिसे आप "प्रमुख पशु मेले" पर क्लिक कर के देख सकते हैं | तो आइए जाने राजस्थान के प्रमुख मेले (Rajasthan ke Pramukh Mele) :

कुछ तथ्य जो मेलों से जुड़े हुए हैं :

            राजस्थान में सर्वाधिक मेले भरे जाते हैं : डूंगरपुर
            राजस्थान में सर्वाधिक पशुमेले भरे जाते हैं : नागौर में

1. पुष्कर मेला - पुष्कर (अजमेर)
            यह राजस्थान का सबसे रंगीन मेला है , जो कार्तिक शुक्ल 11 से कार्तिक पूर्णिमा तक भरता है। मेरवाड़ा का सबसे बड़ा मेला है। इसका मुख्य आकर्षण "कालबेलिया नृत्य" है जिसकी प्रसिद्ध कलाकार गुलाबो है |
            यहाँ सर्वाधिक विदेशी पर्यटकों का आवागमन रहता है | इस मेले के साथ-2 प्रसिद्ध पशु मेले का भी आयोजन होता है जिसमें 
नागौरी गौवंश, बीकानेरी ऊंट तथा रैंडा नस्ल की गाय व गिर नस्ल का व्यापार होता है। 
            यहाँ पुष्कर सरोवर पर 52 घात हैं जहां कार्तिक पूर्णिमा को दीपदान किया जाता है | 
इस मेले को “तीर्थो का मामा” कहते है।

2. भर्तहरी का मेला - अलवर
            यह मेला भाद्रशुक्ल सप्तमी-अष्टमी को भरता हैं। इस मेले का आयोजन नाथ सम्प्रदाय के साधु भर्त्हरि की तपोभूमि पर होता हैं। भूर्त्हरि की तपोभूमि के कनफटे नाथों की तीर्थ स्थली कहते है। मत्स्य क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला है।
            यह सरिस्का अभ्यारण्य में भरा जाट है, जहां भर्तहरी का मंदिर  व गुफा है | यहाँ पर नाचना गणेश जी भी है जो काफी प्रसिद्ध है | इसे "कनफटे नाथों का कुम्भ" भी कहा जाता है |

3. बेणेश्वर धाम मेला - नवाटापरा (डूंगरपुर)
            यह मेला सोम, माही व जाखम नदियों के संगम पर भरता है। यह मेला माघ पूर्णिमा को भरता हैं। इस मेले को बागड़ का कुम्भ, बागड़ का पुष्कर, दक्षिणी राजस्थान का कुम्भ व आदिवासियों का कुम्भ भी कहते है। संत माव जी को बेणेश्वर धाम पर ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यहाँ पर खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है |

4. सीताबाड़ी का मेला - केलवाड़ा (बांरा)
            यह मेला ज्येष्ठ अमावस्या को भरता है। इस मेले को “सहरिया जनजाति का कुम्भ” कहते है। हाडौती अंचल का सबसे बडा मेला है।
नोट : राजस्थान में सहरिया जनजाति के लोग सर्वाधिक बारां जिले की शाहबाद व किशनगंज तहसील में रहते हैं |

5. घोटिया अम्बा माता का मेला - बांसवाडा
            यह मेला चैत्र अमावस्या को भरता है। इस मेले को “भीलों का कुम्भ” कहते है। महाभारत काल में पांडुवोंने 88000 ऋषिओं को भोजन कराया था | यहाँ प्रसिद्ध घोटेश्वर महादेव का मंदिर भी है |

6. मानगढ़ धान का मेला - बांसवाडा
            यह मेला आश्विन पूर्णिमा को भरता है। 1913 में मानगढ़ पहाड़ी पर गोविंद गिरी के नेतृत्व में सम्पसभा का सम्मलेन हुआ जिस पर मेवाड़ भील कौर बटालियन द्वारा अंधाधुन गोलियां चलायी गयी जिसमें 1500 से अधिक भील शहीद हुए | इस घटना को राजस्थान का जलियावाला बाग़ हत्याकांड कहा जाता है | इसीलिए यह मेला  गोविंद गिरी की स्मृति मे भरता है।
            2013 में मानगढ़ में भील शहीद स्मारक की स्थापना की गयी | प्रतिवर्ष यहाँ शहीदों की स्मृति में मेला भरा जाता है |

7. मुकाम मेला - मुकाम-तालवा (नोखा, बीकानेर)
            यह मेला वर्ष में दो बार भरा जाता है | बिश्नोई सम्प्रदाय का मुक्तिधाम तथा मथुरा कहा जाता है | जांगल प्रदेश का सबसे बड़ा मेला है | संत जाम्भोजी का समाधि स्थल है |

8. कोलायत मेला / कपिल मुनि का मेला - कोलायत झील (बीकानेर)
            यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को भरता है। मुख्य आकर्षण “कोलायत झील पर दीपदान” है। यहाँ पर 52 घात हैं | कपिल मुनि सांख्य दर्शन के प्रणेता थे। यह संत कपिल मुनि की तपो भूमि है | कोलायत तीर्थ को तीर्थों का गुरु कहा जाता है |

9. मंचकुण्ड तीर्थ मेला - धौलपुर
            यह मेला भाद्रपद शुक्ल 6 को भरता है। इस मेले को तीर्थो का भान्जा कहते है। यह मेला मचकुंड सरोवर में भरा जाता है |

10. सैपऊ महादेव मेला - सैपऊ (धौलपुर)
            यह मेला महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण 13,14 को भरा जाता है |

11. जौहर मेला - चित्तौड़गढ़
            यह मेला चैत्र शुक्ल 11 को भरा जाता है | यह रानी पद्मावती की स्मृति में भरा जाता है |
            1303 में रावल रतन सिंह के शासन काल में अल्लौद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया | रानी पद्मिनी सहीत 16000 महिलाओं ने अग्नि जोहर किया जो राजस्थान का सबसे बड़ा जौहर कहलाता है |

12. मातृकुण्डिया / माता कुण्डालिनी का मेला  - राश्मी (चित्तौडगढ)
            यह मेला बौशाख पूर्णिमा को भरता है। इस मेले को राजस्थान का हरिद्वार कहते है। यहाँ माता कुण्डालिनी का प्रसिद्ध मंदिर है |

13. मीरा महोत्सव - चित्तौड़गढ़
            यह मेला शरद पूर्णिमा / अश्विन पूर्णिमा को भरा जाता है | यह मेड़ता व चित्तौड़गढ़ का प्रसिद्ध मेला है |
            मेड़ता को मीरा नगरी भी कहा जाता है | यहाँ चार भुजा नाथ मंदिर में मीरा महोत्सव का आयोजन होता है |
नोट : राजस्थान का दूसरा चार भुजा नाथ मंदिर गढ़बोर (राजसमन्द) व मीरा मंदिर (चित्तौड़गढ़) में है |

14. लोहार्गल मेला - लोहार्गल (झुंझुनू)
            यह मेला चैत्र मॉस की सोमवती अमावस्या को भरा जाता है | यह तीर्थ महाभारत कालीन केंद्र है | यहाँ पर पांडवों का मोक्ष हुआ था | इसकी 24 कौसी परिक्रमा प्रसिद्ध है | यहाँ एक प्राचीनतम सूर्या मंदिर भी है |

15. खाट्टू श्याम जी मेला - खाट्टू गाँव (सीकर)
            यह मेला फाल्गुन शुक्ल 11,12 को भरा जाता है | इसे शीश का दानी व कलयुग का श्याम भी कहा जाता है | यहाँ बर्बरीक के मुख की पूजा की जाती है | यह एक लक्खी मेला है |

16. चुन्धी तीर्थ का मेला - जैसलमेर
            यह मेला भाद्रपद शुक्ल 4 को भरा जाता है | यह श्री गणेश जी से संबंधित मेला है। इस मंदिर में गणेश जी को शेर पर सवार दिखाया गया है।
नोट :  “हेरम्भ गणपति मंदिर” बीकानेर में है।

17. कपालेश्वर महादेव मेला - बाड़मेर 
            इस मेले का आयोजन प्रत्येक 12 वर्षों में होता है | इसे मारवाड़ का कुम्भ व राजस्थान का अर्धकुम्भ कहा जाता है |

18. परशुराम महादेव मेला - पाली
            यह मेला महाशिवरात्रि / फाल्गुन कृष्ण 13,14 को भरा जाता है | यहाँ चूने से स्वत: शिवलिंग का निर्माण होता है | इसे राजस्थान का अमरनाथ कहा जाता है |

19. गौर का मेला - सिरोही
            यह मेला वैशाख पूर्णिमा को भरता है। इस मेले को ‘ गरासिया जनजाति का कुम्भ’ कहते है। इसमें गरासिया जनजाति की युवतियां व युवक प्रेमविवाह करते हैं |

20. हल्दी घाटी मेला - राजसमन्द
            यह मेला 18 या 21 जून को भरा जाता है |

21. वीरपुरी मेला - मंडोर (जोधपुर)
            यह मेला श्रावण मॉस के अंतिम सोमवार को भरा जाता है |

22. नागपंचमी मेला - मंडोर (जोधपुर)
            यह मेला श्रावण कृष्ण पंचमी को भरता है। श्रावण कृष्ण पंचमी को नाग पंचमी भी कहते है।
नोट : मंडोर में ३३ करोड़ देवी देवताओं की साल या वीरों की साल हॉल ऑफ़ हीरोज प्रसिद्ध है | 33 करोड़ देवी देवताओं का मंदिर जूनागढ़ (बीकानेर) में हैं |

23. बेंतमार मेला - जोधपुर 
            यह मेला बैशाख कृष्ण 3 (धींगा गवर वाले दिन) भरा जाता है | इसे महिला उत्थान का प्रतीक माना जाता है |

Also Read: पशुधन

24. भूरिया बाबा/ गोतमेश्वर मेला - अरणोद (प्रतापगढ़)
            यह मेला वैशाख पूर्णिमा को भरता हैं। इस मेले को “मीणा जनजाति का कुम्भ” कहते है।

25. चौथ माता का मेला - चौथ का बरवाडा (सवाई माधोपुर)
            यह मेला माध कृष्ण चतुर्थी को भरता है। इस मेले को “कंजर जनजाति का कुम्भ” कहते है।

26. साहवा का मेला - चूरू
            यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को भरता है। सिंख धर्म का सबसे बड़ा मेला है।

27. चन्द्रभागा मेला - झालरापाटन (झालावाड़)
            यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को भरता है। चन्द्रभागा नदी पर बने शिवालय में पूजन होता हैं। इस मेले के साथ-साथ पशु मेला भी आयोजित होता है, जिसमें मुख्यतः मालवी नसल का व्यापार होता है।

28. रामदेव मेला - रामदेवरा (जैसलमेर)
            इस मेले का आयोजन रामदेवरा (रूणिचा) (पोकरण) में होता है। इस मेले में आकर्षण का प्रमुख केन्द्र तेरहताली नृत्य है जो कामड़ सम्प्रदाय की महिलाओं द्वारा किया जाता है।

29. बीजासणी माता का मेला - लालसोट (दौसा)
            यह मेला चैत्र पूर्णिमा को भरता है।

30. कजली तीज का मेला - बूंदी
            यह मेला भाद्र कृष्ण तृतीया को भरता है।

31. लोटियों का मेला - मण्डौर (जोधपुर)
            यह मेला श्रावण शुक्ल पंचमी को भरता है।

32. डोल मेला - बांरा
            यह मेला भाद्र शुक्ल एकादशी को भरता है। इस मेले को श्री जी का मेला भी कहते हैं ।

33. फूल डोल मेला - शाहपुरा (भीलवाडा)
            यह मेला चैत्र कृष्ण एकम् से चैत्र कृष्ण पंचमी तक भरता है।

34. अन्नकूट मेला - नाथद्वारा (राजसंमंद)
            यह मेला कार्तिक शुक्ल एकम को भरता है। अन्नकूट मेला गोवर्धन मेले के नाम से भी जाना जाता है।

35. भोजनथाली परिक्रमा मेला - कामा (भरतपुर)
            यह मेला भाद्र शुक्ल दूज को भरता है।

36. श्री महावीर जी का मेला - चान्दनपुर (करौली)
            यह मेला चैत्र शुक्ल त्रयोदशी से वैशाख कृष्ण दूज तक भरता है। यह जैन धर्म का सबसे बड़ा मेला है। मेले के दौरान जिनेन्द्ररथ यात्रा आकर्षण का मुख्य केन्द्र होती है।

37. ऋषभदेव जी का मेला - धूलेव (उदयपुर)
            मेला चैत्र कृष्ण अष्टमी (शीतलाष्टमी) को भरता है। ऋषभदेव जी को केसरिया जी, आदिनाथ जी, धूलेव जी, तथा काला जी आदि नामों से जाना जाता है।

38. चन्द्रप्रभू का मेला - तिजारा (अलवर)
            यह मेला फाल्गुन शुक्ल सप्तमी को भरता हैं यह भी जैन धर्म का मेला है।

39. बाड़ा पद्य्पुरा का मेला - जयपुर
            यह भी जैन धर्म का मेला है।

40. रंगीन फव्वारों का मेला - डींग (भरतपुर)
            यह मेला फाल्गुन पूर्णिमा को भरता है।

41. डाडा पम्पा राम का मेला - विजयनगर (श्रीगंगानगर)
            यह मेला फाल्गुन माह मे भरता है।

42. बुढ़ाजोहड़ का मेला - डाबला,रायसिंह नगर (श्री गंगानगर)
            श्रावण अमावस्या को मुख्य मेला भरता है।

43. वृक्ष मेला - खेजड़ली (जोधपुर)
            यह मेला भाद्र शुक्ल दशमी को भरता है। भारत का एकमात्र वृक्ष मेला है।

44. डिग्गी कल्याण जी का मेला - टोंक
            कल्याण जी विष्णु जी के अवतार माने जाते है। कल्याण जी का मेला श्रावण अमावस्या व वैशाख में भरता है।

45. गलता तीर्थ का मेला - जयपुर
            यह मेला मार्गशीर्ष एकम् (कृष्ण पक्ष) को भरता है। रामानुज सम्प्रदाय की प्रधान पीठ गलता (जयपुर) में स्थित है।

46. गणगौर मेला - जयपुर
            यह मेला चैत्र शुक्ल तृतीया को भरता है। जयपुर का गणगौर मेला प्रसिद्ध है। बिन ईसर की गवर, जैसलमेर की प्रसिद्ध है। जैसलमेर में गणगौर की सवारी चैत्र शुक्ल चतुर्थी को निकाली जाती है।

47. राणी सती का मेला - झुंझुनू
            यह मेला भाद्रपद अमावस्या का भरता था। इस मेले पर सती प्रथा निवारण अधिनियम -1987 के तहत् सन 1988 को रोक लगा दी गई।

48. त्रिनेत्र गणेश मेला - रणथम्भौर (सवाई माधोपुर)
            यह मेला भाद्र शुक्ल चतुर्थी को भरता है।

49. खेतला जी का मेला - पाली
            यह मेला चैत्र कृष्ण एकम् को भरता है।


            यदि उपरोक्त विषय के विवरण में कोई त्रुटी नजर आये तो हमें निचे कमेंट से अवगत जरूर करायें, ताकि भविष्य हेतु इसमें सुधार किया जा सके |


July 11, 2022

मन के वश से बाहर निकलो ! || Get out of Mind !

 


                        आप सभी के लिए एक और ऊर्जा से भरपूर कहानी जो आपको रुकने नहीं देगी | जिसमे आप जानेंगे की विराम जितना ठीक है उतना ही गलत भी है अगर उसके लगने के बारे में ज़रा भी अंदाजा न हो तो | इसलिए आज विराम/लगाम/विवेक जैसे भारी शब्दों का निचोड़ है ये कहानी | आएये जाने इसका सारांश: 


"विवेक नाम का एक लड़का था | उसको दौड़ने का बहुत शौक था | किन्तु यह शोक उसे शुरुआत तक ही रहता था थोड़ी ही देर बाद उसका मन उसे हारने पर विवश कर ही देता था | वैसे तो उसने कई मैराथन में हिस्सा लिया था |परंतु समस्या वही थी की वह किसी भी दौड़ को पूरा नही कर पाता था |

एक दिन उसने मन करके ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाये वह दौड़ पूरी जरूर करेगा | अगले दिन मैराथन की दौड़ शुरू हुई | विवेक ने भी दौड़ना शुरू किया | शुरुर में वह तेज दौड़ा किन्तु फिर धीरे धीरे सारे धावक आगे निकलते जा रहे थे | मगर अब विवेक थकने लगा था | और आखिर में मन हार मानी और वह रुक गया | पर जिद से जो ठाना था उसके तो आड़े मन को आना ही था | फिर भी उसने खुद से जिद की और तुरंत विकल्प ढूँढा और कहा अगर मैं दौड़ नही सकता तो कम से कम चल तो सकता हूँ | उसने ऐसा ही किया वह धीरे धीरे चलने लगा | 

उसने जो जिद की थी वो मन से की थी तो वह आगे तो बढ़ रहा था किन्तु बेमन के कारण थक भी रहा था |अब वह बहुत ज्यादा थक गया था और सहसा ही नीचे गिर पड़ा | फिर जिद की कि वह कैसे भी करके आज दौड़ को पूरी जरूर करेगा | वह जिद करके वापस उठा लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ने लगा और अंततः वह दौड़ पूरी कर गया |

उसने दौड़ में सबसे अंतिम स्थान पाया किन्तु वह इतना निराश नहीं था जीना वो अधूरी दौड़ करने से होता था | लेकिन आज उसका विश्वास चरम पर था क्योंकि आज से पहले उसने दौड़ को कभी पूरा ही नही किया था | वह इतना थक गया था की वहीँ जमीन पर गिर पड़ा था, क्योंकि उसके पैरों की मांसपेशियों में बहुत खिंचाव हो चुका था |"


                    दोस्तों हम भी तो इस तरह की गलती करते है हमारी जिंदगी में कभी भी अगर कोई परेशानी होती है तो उस काम को नही करते और छोड़ देते है | अगर आप एक विद्यार्थी हो तो आपको इस पर ज़रा ज्औयादा ध्रयान देना चाहिए | देखिये शुरुआत करने के लिए दिन या मुहूर्त नहीं होता बल्कि मन से जीतकर कठोरे होना होता है |

                    विवेक की कहानी से हमे यही सीखने को मिलता है कि अगर हम लगातार आगे बढ़ते रहे तो एक दिन हम हारकर भी जीत जाएंगे | छोटे छोटे कदम बढ़ाते जाओ और आगे बढ़ते जाओ यही सफलता का नियम है | अगर आपको भी ये प्रेरक कहानी अच्छी लगी हो तो कमेंट  के माध्यम से हमे जरूर बताएं |

                  मुझे आपके कमेंट्स का इन्तेजार रहेगा |

                                                                                                                                    धन्यवाद |



July 10, 2022

राजस्थान लाइब्रेरी 3rd ग्रेड PYP || Rajasthan Library Science Previous Year Question Papers

 


                राजस्थान में अभी जो नयी लाइब्रेरियन विज्ञप्ति आई है उसके लिए यह साईट आपके बहुत काम आने वाली है | जिसमें आपको अक्टूबर 2021 से मार्च 2022 तक का करंट अफेयर्स तो अवेलेबल करवा दिया है | जिसमे से 100% प्रश्न आने की सम्भावना है | इस पेज से आप विगत वर्षों के परीक्षा पात्र एक जानकारी के तौर पर मुफ्त में ही डाउनलोड कर सकते है | 

निचे आपको जरूरी परीक्षा पात्र का लिंक दिया हुआ है जाएँ और डाउनलोड कीजिये |



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July 8, 2022

डर का हमेशा सामना करो || Always Face the Fear


               आज मैं जिस कहानी का जिक्र करने जा रहा हूँ वो एक महान व्यक्तित्व की हैं। उन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। वो स्वयं अद्भुत ज्ञान के भंडार हैं और सदा बांटने में ही विश्वास किया है। तो सुनिए कहानी परम पूज्य स्वामी विवेकानंद जी की-

एक बार स्वामी जी बनारस गए हुए थे। वहां जब मंदिरों के दर्शन कर रहे थे तो एक मंदिर से निकलते हुए विवेकानंद जी को बहुत सारे बंदरों ने घेर लिया। वो थोड़े सहमे अचानक ये सब होने के कारण, फिर वे खुद को बचाने के लिए भागने लगे, लेकिन बंदर थे कि उनका पीछा ही नहीं छोड़ रहे थे। जब वो उनसे पीछा छुड़ाने के लिए बार बार इधर उधर भाग रहे थे पास में खड़े एक वृद्ध संन्यासी ने उनसे कहा, ‘रुको और उनका सामना करो!’ विवेकानंद जी को उस वृद्ध के बोलते ही बड़ा अजीब लगा कि बंदर पीछा ही नहीं छोड़ रहे और ये कह रहे हैं की उनकी तरफ ही जाओ। पर फिर भी हिम्मत करके वे तुरंत पलटे मन को कठोर कर बंदरों की तरफ बढऩे लगे। स्वामी जी को यह देखकर बहुत अजीब लगा कि उनके इस रवैये से सारे बंदर भाग गए। 

इस घटना से उन्होंने सदा के लिए सीख ग्रहण की कि डर कर भागने की अपेक्षा मुसीबत का सामना करना चाहिए। कभी कभी अनजाने लोगों से भी हमें बहुत कुछ सीखने को मिल जाता है। कई सालों बाद जब वो किसी सम्मेलन में गए तो वहां उन्होंने संबोधन में कहा भी, ‘यदि कभी कोई चीज तुम्हें डराए तो उससे भागो मत। पलटो और सामना करो'। और स्वामी जी जब तक रहे कभी किसी हालात से डरे नहीं। एक छोटी सी सीख आदमी को क्या से क्या बना देती है।

आपको यह कहानी कैसी लगी ऐसी ज्ञानवर्धक और भी रोचक कहानियों के पढ़ने के लिए इस ब्लॉग को फॉलो करें और कमेंट करके जरूर बताएं।


July 6, 2022

राजस्थान से संबंधित विभिन्न उपनाम || Popular Surname related to Rajasthan

 



        राजस्थान में जब आप प्रसिद्द व्यक्तियों, स्थानों,आदि के बारे में पढेंगे तो पायेंगे की उन सभी प्रसिद्ध हस्तियों को और भी संबोधित नाम से पुकारा जाता है जिसे उपाधियों या उपनामों से अलंकृत किया गया है, जैसे मीरा को राजस्थान की राधा भी कहा जाता है उसी प्रकार राजस्थान में और भी ऐसे कई व्यक्ति और स्थान है जिन्हें उपनामों से अलंकृत किया गया है, आएये आज जाने उनके बारे में ख़ास ख़ास बातें -

व्यक्तियों के उपनाम

  1. राजस्थान का अबुल फजल  -  मुहणोत नैणसी
  2. वागड़ के गाँधी – भोगी लाल पंड्या
  3. राजस्थान का लोह पुरुष - दामोदर लाल व्यास
  4. राजस्थान का नृहसिंघ - भक्त कवि दुर्लभ
  5. राजस्थान की राधा - मीराबाई

  6. बागड़ की मीरा गवरी बाई
  7. मारवाड़ का प्रताप - राव चंद्रसेन (मारवाड़ का भूला बिसरा नायक)
  8. राज्य की मरू कोकिला - अल्लाह जिला बाई
  9. राजस्थान की भागीरथ - महाराजा गंगा सिंह
  10. आदिवासियों का मसीहा - मोतीलाल तेजावत

  11. शेरे-ए-राजस्थान - जय नारायण व्यास
  12. अणुव्रत आंदोलन के प्रणेता - आचार्य श्री तुलसी
  13. चिड़ावा के गांधी - प्यारेलाल गुप्ता
  14. राजस्थान के गांधी - गोकुल भाई भट्ट
  15. राजपूताने का कर्ण - रायसिंह

  16. गांधी जी की पांचवी पुत्र - जमनालाल बजाज
  17. राजस्थान का नेहरू - पंडित जुगल किशोर चतुर्वेदी
  18. हल्दीघाटी का शेर - महाराणा प्रताप
  19. किसान आंदोलन के जनक - विजय सिंह पथिक
  20. राजस्थान में सर्वोदय आंदोलन के नेता - सिद्धराज ठंडा

  21. मेवाड़ की भीष्म पितामह - कुंवर चूड़ा
  22. जालौर का कश्मीर - रानीवाड़ा
  23. घोड़ी वाले बाबा - कर्नल जेम्स टॉड
  24. आधुनिक राजस्थान के निर्माता - मोहनलाल सुखाड़िया
  25. राजस्थान का ताजमहल - जसवंत थड़ा जोधपुर

  26. गांधी जी की मानस पुत्री - श्रीमती सत्यभामा
  27. शेर ए भरतपुर - गोकुल जी वर्मा
  28. राजस्थान का कबीर - संत दादू दयाल

जिलों के उपनाम

  1. श्रीगंगानगर :
    - सरसों का प्रदेश
    - राजस्थान का अन्न भण्डार

  2. बीकानेर:
    - ऊंटों की धरती
    - ऊन की धरती
    - दूध नगरी
    विशेष : राजस्थान की पहली ऊंटनी की डेयरी खोली गयी |

  3. जैसलमेर:
    - राजस्थान का सुनहरा शहर
    - राजस्थान की स्वर्ण नगरी
    - हवेलियों तथा झरोखों की नगरी
    - रेगिस्तान का गुलाब
    - पीले पत्थरों का शहर
    - राजस्थान का अंदमान 

  4. बाड़मेर :
    - राजस्थान का मरू जिला

  5. जालौर
    - राजस्थान की ग्रेनाइट सिटी
    - राजस्थान की सुवर्ण नगरी
    - राजस्थान का जालंधर

  6. जोधपुर:
    - सूर्य नगरी
    - नीली नगरी
    - किले / दुर्गों का शहर
    - मरुस्थल का प्रवेश द्वार 

  7. झुंझुनू
    - राजस्थान की ताम्र नगरी (खेतड़ी)

  8. अलवर
    - राजस्थान का सिंह द्वार
    - राजस्थान का स्कॉटलैंड
    - पूर्वी राजस्थान का कश्मीर

  9. भरतपुर
    - राजस्थान का प्रवेश द्वार

  10. धौलपुर
    - रेड डायमंड सिटी
    - राजस्थान का पूर्वी प्रवेश द्वार

  11. जयपुर
    -  हीरे-पन्ने की नगरी
    - राजस्थान की विरासत नगरी
    - पूर्व का पेरिस

  12. अजमेर
    - राजस्थान का ह्रदय
    - राजस्थान का नाका
    - अरावली का अभिमान
    - अण्डों की टोकरी
    - राजपूताने की कुंजी

  13. टोंक
    - राजस्थान का नवाबों का शहर

  14. भीलवाडा
    - राजस्थान का मैनचेस्टर
    - वस्त्र नगरी
    - अभ्रक नगरी

  15. कोटा
    - राजस्थान का कानपुर
    - चम्बल नगरी
    - औधोगिक नगरी
    - राजस्थान का नालंदा

  16. झालावाड़
    - राजस्थान का नागपुर
    - छोटा नागपुर
    - राजस्थान का मालवा

  17. उदयपुर
    - झीलों की नगरी
    - राजस्थान का कश्मीर
    - पूर्व का वेनिस

  18. डूंगरपुर
    - पहाड़ों की नगरी

  19. बाँसवाड़ा
    - 100 द्वीपों का शहर
    - मानसून का प्रवेश द्वार
    - आदिवासियों का प्रदेश

अन्य विशेष बिंदु जो शहरों से सम्बंधित हैं 

  1. राजस्थान की मोनालिसा - बणी ठणी पेंटिंग
  2. राजस्थान का हरिद्वार - मातृकुंडिया
  3. कब्रगाह का शहर - बयाना
  4. थार की वैष्णो देवी - तनोट
  5. बांगर की धनी - नरहड़ के पीर
  6. राजस्थान का जलियांवाला बाग - मानगढ़ (बांसवाड़ा)
  7. मेवाड़ का काला पानी - सराडा का किला
  8. वागड़ का प्रयाग - बेणेश्वर तीर्थ
  9. राजस्थान का पंजाब - सांचौर
  10. राजस्थान का शिमला - माउन्ट आबू
  11. राजस्थान का गौरव - चितोड़गढ़
  12. खम्भों का नगर - रणकपुर(पाली)

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राजस्थान के प्रमुख पशु मेले || Famous Animal Fairs of Rajasthan


 
            राजस्थान अपनी कला व संस्कृति के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है | जिस तरह यहाँ भाषा, बोली, नृत्य, त्योंहारों आदि की एक अलग ही चमक है ठीक उसी प्रकार यहाँ के पशु मेले भी बहुत प्रसिद्ध हैं | 

            पशु मेलों का आयोजन राजस्व विभाग, अजमेर द्वारा किया जाता है | 
            राजस्थान में सर्वाधिक पशुओं का मेला वाला जिला : बाड़मेर
            
राजस्थान में न्यूनतम  पशुओं का मेला वाला जिला : धौलपुर
नोट : पशु गणना हर 5 वर्षों में होती है | 

1. श्रीबलदेव पशु मेला
            यह मेला मेड़ता सिटी (नागौर) में आयोजित होता है। इस मेले का आयोजन चेत्र मास के सुदी पक्ष में होता हैं और नागौरी नस्ल के बैल से संबंधित है। यह मेला किसान नेता बलदेव राम मिर्धा की स्मृति में भरा जाता है |

2.  श्री वीर तेजाजी पशु मेला
            यह मेला परबतसर (नागौर) में आयोजित होता है। श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या तक चलता है। इस मेले से राज्य सरकार को सर्वाधिक आय होती है और आमदनी की दृष्टि से यह राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला है | यह नागौरी बैलों के लिए प्रसिद्ध है |

3. रामदेव पशु मेला
            यह मेला मानासर (नागौर) में आयोजित होता है। इस मेले का आयोजन मार्गशीर्ष माह में होता है। इस मेले में नागौरी किस्म के बैलों की सर्वाधिक बिक्री होती है। यही मनासार में लोकदेवता रामदेव जी का प्रसिद्ध मंदिर है |

4. गोमती सागर पशु मेला
            यह मेला झालरापाटन (झालावाड़) में आयोजित होता है। इस मेले का आयोजन वैशाख माह में होता है। मालवी नस्ल की गौवंश से संबंधित है। यह पशु मेला हाडौती क्षेत्र का सबसे बडा पशु मेला है।

5. चन्द्रभागा पशु मेला
            यह मेला झालरापाटन (झालावाड़) में कार्तिक माह में आयोजित होता है। मालवी नस्ल से संबंधित है। यह चन्द्र भागा नदी के किनारे भरा जाता है |

6. पुष्कर पशु मेला
            इस मेले का आयोजन पुष्कर (अजमेर) में कार्तिक माह मे आयोजित होता हैं।  गिर नस्ल से संबंधित है। इसके अलावा नागौरी गौवंश, बीकानेरी ऊंट तथा रैंडा नस्ल की गाय की खरीद फरोक्त भी की जाती है|

7. गोगामेड़ी पशु मेला
            यह मेला नोहर (हनुमानगढ़) में आयोजित होता है। इस मेले का आयोजन भाद्रपद माह में होता है। हरियाणवी नस्ल की गौवंश से संबंधित है। राजस्थान का सबसे लम्बी अवधि तक चलने वाला पशु मेला है।

8. महाशिवरात्री पशु मेला
            यह करौली मे फाल्गुन मास में आयोजित होता है। हरियाणवी नस्ल की गौवंश से संबंधित है।

9. जसवंत प्रदर्शनी एवं पुश मेला
            इस मेले का आयोजन आश्विन मास में भरतपुर में किया जाता है। यह मेला हरियाणवी नस्ल की गौवंश से संबंधित है। यह मेला भरतपुर महाराजा जसवंत सिंह की स्मृति में भरा जाता है |

10. श्री मल्लीनाथ पशु मेला
            इस मेले का आयोजन तिलवाडा (बाड़मेर) में होता है। यह मेला चैत्र कृष्ण ग्यारस से चैत्र शुक्ल ग्यारस तक लूनी नदी के तट पर आयोजित किया जाता है। थारपारकर (मुख्यतः) व काॅकरेज नस्ल की बिक्री होती है। देशी महीनों के अनुसार यह सबसे पहले आने वाला पशु मेला है।

11. बहरोड़ पशु मेला
            यह मेला बहरोड (अलवर) में आयोजित होता है। यहाँ पर मुर्रा भैंस का व्यापार होता है।

12. सेवडिया पशु मेला
            यह मेला रानीवाडा (जालौर) में आयोजित होता है। यह मेलाकाॅकरेज नस्ल की गौवंश से संबंधित है।
नोट : रानीवाड़ा राज्य की सबसे बडी दुग्ध डेयरी है व पथमेड़ा (जालौर) राज्य की सबसे बड़ी गौशाला है |

13. लुनियावास पशु मेला : 
            यह मेला लुनियावास (जयपुर) में भरा जाता है | यह मेला गधों से समन्धित मेला है जो शीतला अष्टमी को (चैत्र कृष्ण 8) खलकानी माता मंदिर के पास भावगढ़ नामक बाँध (बाणगंगा नदी) के किनारे आयोजित होता है | यह राजस्थान का सबसे बड़ा गधों का मेला है |

14. सोरसन पशु मेला : सोरसन (बारां)

15. बाबा रधुनाथपुरी पशु मेला : सांचैर (जालौर)

16. डीडवाना पशु मेला : डीडवाना (नागौर)

17. पाबोलाव पशु मेला : लाडनूं  (नागौर)

18. आमेट पशु मेला : राजसमन्द

19. बाणगंगा पशु मेला : बैराठ / विराटनगर (जयपुर) [बैशाख पूर्णिमा के दिन ]


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July 5, 2022

BLIS University Previous Year Theory Paper || VMOU || Kota Open

             VMOU विश्वविद्यालय द्वारा जारी पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र जो आगामी होने वाली परीक्षाओं के लिए उपयोगी हैं | जिनकी मदद से आप जान पायेंगे की VMOU किस तरह का पैटर्न तैयार करती है | जानकारी के लिए वर्ष 2022 के परीक्षा पत्रों में कुछ बदलाव किये हैं उनके लिए इस पेज के अंत में लिंक हैं विजिट करें और जाने अब कैसा होगा VMOU का थ्योरी पेपर | 


            VMOU विश्वविद्यालय द्वारा जारी 2019 के जून व दिसंबर माह के प्रश्न पत्र यहां उपलब्ध हैं । आप उन्हें डाउनलोड कर आगामी परीक्षाओं के लिए तैयारी कर अपनी डिग्री परीक्षा में उत्तीर्ण हो सकते हैं।

इसका लिंक आपको सब्जेक्ट के हिसाब से सत्रानुसार मिलेगा जिसे आप डाउनलोड पर क्लिक कर प्राप्त कर सकते हैं। 

            इस बात का ध्यान रखना की ये प्रश्न पुराने पत्रानुसार है। इसलिए इसे मार्गदर्शिका के रूप में ही देखें। पुराने प्रश्न पत्रों में प्रश्न तीन भागों में पूछे जाते थे। पर अभी 2022 में यह दो में ही रह गया है, जिसका विवरण नीचे मिल जाएगा। वहां से आप सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

वर्ष 2019 जून माह BLIS :
BLIS 01 : Download
BLIS 02 : Download
BLIS 05 : Download
BLIS 06 : Download
BLIS 07 : Download
BLIS 08 : Download


वर्ष 2019 दिसंबर माह BLIS :
BLIS 01 : Download
BLIS 02 : Download
BLIS 05 : Download
BLIS 06 : Download
BLIS 07 : Download
BLIS 08 : Download


वर्ष 2022 जुलाई (सत्र : जनवरी 2021) माह BLIS : (नवीनतम)

BLIS 01 : Download
BLIS 02 : Download
BLIS 05 : Download
BLIS 06 : Download
BLIS 07 : Download
BLIS 08 : Download

            उपरोक्त प्रश्न पत्रों की मदद से अपनी तैयारी को जारी रखें और जो पढ़ा हुआ है उसे दोहराते रहे | आपकी परीक्षाओं में आप उत्तीर्ण हो जाएँ ऐसी हम कामना करते हैं |

नोट : Practicals के लिए सभी प्रश्न पत्र जल्द ही उपलब्ध करा दिए जायेंगे |


कैसा रहेगा 2022 में VMOU BLIS विश्विद्यालय का प्रश्न पत्र। Click Here



VMOU BLIS DLIS University Exam New Pattern 2022

 


डिप्लोमा एवं पुस्तकालय विज्ञान के लिए यह परीक्षा पद्धति लागू होगी। इसलिए इसे ध्यान से पढें।

100 अंको की परीक्षा पद्धति ( 2022 से पूर्व की व्यवस्था ) :-

खण्ड-अ
कुल प्रश्न = 10
कुल करने हेतु प्रश्न = 10 
(प्रत्येक के लिए 2 अंक निर्धारित ) सभी प्रश्न अनिवार्य 
इस तरह इस खण्ड से कुल अंक = 20

खण्ड-ब
कुल प्रश्न = 8  
कुल करने हेतु प्रश्न = 4 
(प्रत्येक के लिए 10 अंक निर्धारित ) 
इस तरह इस खण्ड से कुल अंक = 40

खण्ड-स
कुल प्रश्न = 8
कुल करने हेतु प्रश्न = 2
(प्रत्येक के लिए 20 अंक निर्धारित ) 
इस तरह इस खण्ड से कुल अंक = 40



2022 की परीक्षाओं के लिए 70 अंको की परीक्षा पद्धत्ति

खण्ड-अ
कुल प्रश्न = 8
कुल करने हेतु प्रश्न = 4
(प्रत्येक के लिए 3.5 अंक निर्धारित ) - ( शब्द-सीमा-30 )
इस तरह इस खण्ड से कुल अंक = 14
यह खण्ड सबसे ज्यादा स्कोरिंग होता है अतः इस पर अच्छे से ध्यान देना।

खण्ड-ब
कुल प्रश्न = 8
कुल करने हेतु प्रश्न = 4
(प्रत्येक के लिए 14 अंक निर्धारित ) - ( शब्द-सीमा-200 )
इस तरह इस खण्ड से कुल अंक = 56
उत्तरों का सरलीकरण व विन्दुओं का प्रस्तुतिकरण आपको अधिक अंक दिलवाने में मदद करेगा।

खण्ड-स
2022 की परीक्षाओं में यह सेक्शन नही होगा।

मुख्य बिंदु : 
- जहां पहले आपको तीन घण्टे में कुल 300 + 800 + 1000 =
1100 अधिकतम शब्द लिखने होते थे।

- वही इस बात आपको डेढ़ घण्टे में कुल 120 + 800 + 0 =
920 अधिकतम शब्द लिखने होंगे।

यदि आप 2019 के यूनिवर्सिटी परीक्षा पत्र डाउनलोड करना चाहते हैं तो नीचे लिंक पर क्लिक करें।
 

"अगर आपको राजस्थान करंट अफेर्स की PDF फ़ाइल डाउनलोड करनी है तो डाउनलोड पर क्लिक करें।"

"अगर आपको उपरोक्त कंटेंट पसंद आया है तो कमेंट कर जरूर बताएं ताकि आपके लिए और भी बहुत सारी जरूरी जानकारियां उपलब्ध करा सकूं। इसे आगे शेयर जरूर करें।"


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