March 1, 2023

राजस्थान दुर्ग से सम्बंधित दर्शनिक स्थल

             राजस्थान का इतिहास जैसे शौर्य गाथा से भरा हुआ है वैसे ही स्थापत्य कला में भी कभी भी विषय कम नहीं आंका गया है | पुराने समय में राजस्थान में राजा अपने आवास, रण या निवास के लिए दुर्ग से सम्बंधित दर्शनिक स्थल का निर्माण करवाते थे। ये दर्शनिक स्थल बहुत ही सुन्दर व दुर्लभ बने होते थे जो किसी को भी अपनी और आकर्षित करते है | इन स्थलों की स्थापत्य कला आज भी देखते ही बनती है।



चित्तौड़गढ़ दुर्ग (चित्तौड़गढ़) में दर्शनीय स्थल

  1. विजय स्तम्भ : इसे मेवाड़ नरेश राणा कुम्भा ने महमूद खिलजी के नेतृत्व वाली मालवा और गुजरात की सेनाओं सारंगपुर युद्ध पर विजय (1442 ई.) के स्मारक के रूप में भगवान विष्णु के निमित विजय स्तम्भ का निर्माण करवाया। यह भगवान्इ विष्णु को समर्पित है इसलिए इसे विष्णु स्तम्भ भी कहा जाता है। यह स्तम्भ 9 मंजिला तथा 122 फीट ऊंचा है। इस स्तम्भ के चारों ओर हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां अंकित है। विजय स्तम्भ को भारतीय इतिहास में मूर्तिकला का विश्वकोष अथवा अजायबघर भी कहते हैं। विजय स्तम्भ का शिल्पकार जैता, नापा, पौमा और पूंजा को माना जाता है। इसको प्रशस्तियों में 'कीर्ति स्तम्भ' कहा गया है|
  2. जैन कीर्ति स्तम्भ : चित्तौडगढ़ दुर्ग में र्वी प्राचीन के निकट जैन कीर्ति स्तम्भ का निर्माण अनुमानतः भगेरवाल जैन जीजा कथोड द्वारा 11 वीं या 12 वी. शताब्दी में करवाया गया जिसे आदिनाथ का स्मारक माना जाता है। यह 75 फुट ऊंचा और 7 मंजिला है। 
  3. पद्मिनी महल : चित्तौड़ दुर्ग में राणा रतन सिंह की  प्रसिद्ध सुंदरी रानी पद्मिनी का महल एक सुंदर जलाशय के मध्य स्थित है| चौगान के निकट ही एक झील के किनारे रावल रत्नसिंह की रानी पद्मिनी के महल बने हुए हैं। एक छोटा महल पानी के बीच में बना है, जो जनाना महल कहलाता है व किनारे के महल मरदाने महल कहलाते हैं। मरदाना महल मे एक कमरे में एक विशाल दर्पण इस तरह से लगा है कि यहाँ से झील के मध्य बने जनाना महल की सीढियों पर खड़े किसी भी व्यक्ति का स्पष्ट प्रतिबिंब दर्पण में नजर आता है, परंतु पीछे मुड़कर देखने पर सीढ़ी पर खड़े व्यक्ति को नहीं देखा जा सकता अलाउद्दीन खिलजी ने यहीं खड़े होकर रानी पद्मिनी का प्रतिबिंब देखा था। इनके दक्षिण पूर्व में गोरा बादल के महल हैं |
  4. कुम्भ श्याम मंदिर, मीरा मंदिर, फतेह प्रकाश संग्रहालय तथा कुम्भा के महल (वर्तमान में जीर्ण -शीर्ण अवस्था) आदि प्रमुख दर्शनिय स्थल है।


रणथम्भौर दुर्ग (सवाई माधोपुर) दर्शनिय स्थल

  1. रनिहाड़ तालाब 
  2. जोगी महल - जोगी महल में हम्मीर के राजगुरु सत्यनाथ तपस्या करते थे। इनकी समाधि जोगी महल में बताई जाती है।
  3. सुपारी 
  4. जोरां-भोरां/जवरां- भवरां के महल 
  5. त्रिनेत्र गणेश मंदिर - विश्व की एक मात्र त्रिनेत्र गणेश प्रतिमा है। हर साल गणेश चतुर्थी को एक लक्खी मेला लगता है।
  6. 32 कम्भों की छत्तरी 
  7. रानी महल 
  8. हम्मीर


मेहरानगढ़ दुर्ग (जोधपुर) दर्शनिय स्थल

  1. चामुण्डा माता मंदिर –यह मंदिर राव जोधा ने बनवाया।
  2. 1857 की क्रांति के समय इस मंदिर के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण इसका पुनर्निर्माण महाराजा तखतसिंह ने करवाया।
  3. चैखे लाव महल- राव जोधा द्वारा निर्मित महल है।
  4. फूल महल –राव अभयसिंह राठौड़ द्वारा निर्मित महल है।
  5. फतह महल –इनका निर्माण अजीत सिंह राठौड ने करवाया।
  6. मोती महल –इनका निर्माता सूरसिंह राठौड़ को माना जाता है।
  7. भूरे खां की मजार
  8. महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश (पुस्तकालय)
  9. दौलतखाने के आंगन में महाराजा तखतसिंह द्वारा विनिर्मित एक शिंगगार चैकी (श्रृंगार चैकी) है जहां जोधपुर के राजाओं का राजतिलक होता था।

दुर्ग में स्थित प्रमुख तोपें- 

  1. किलकिला 
  2. शम्भू बाण 
  3. गजनी खां 
  4. चामुण्डा 
  5. भवानी


गागरोण दुर्ग (झालावाड़) दर्शनीय स्थल:

  1. दरजी सम्प्रदाय के आराध्य संत पीपाजी (गागरोण के राजा प्रतापराव) की छत्तरी बनी हुई है 
  2. गागरोण दुर्ग के पास ही मिट्ठेशाह (संत हमीदुददीन चिस्ती) की ऐतिहासिक दरगाह 
  3. जालिम कोट परकोटा
  4. गीध कराई
  5. गागरोण क्षेत्र में पाए जाने वाले हरिमन/गागरोण तोता का अस्तित्व शिकार की अधिकता के कारण संकट में है|


बयाना दुर्ग (भरतपुर) दर्शनिय स्थल
  1. भीमलाट- विष्णुवर्घन द्वारा लाल पत्थर से बनवाया गया स्तम्भ
  2. विजयस्तम्भ- समुद्र गुप्त द्वारा निर्मित स्तम्भ है।
  3. ऊषा मंदिर
  4. लोदी मीनार

जूनागढ़ दुर्ग (बीकानेर) दर्शनिय स्थल
  1. हेरम्भ गणपति मंदिर
  2. अनूपसिंह महल
  3. सरदार निवास महल


अचलगढ़ दुर्ग (सिरोही) दर्शनीय स्थल
  1. अचलेश्वर महादेव मंदिर- शिवजी के पैर का अंगूठा प्रतीक के रूप में विद्यमान है। अचलेश्वर’ परमार वंशीय शासकों के कुल देवता माने जाते हैं इस मंदिर में शिवलिंग न होकर केवल एक गड्ढ़ा है, ! जिसे ‘ब्रह्मखड्ढ़’ कहा जाता है |
  2. भंवराथल गुजरात का महमूद बेगडा जब अचलेश्वर के नदी व अन्य देव प्रतिमाओं को खण्डित कर लौट रहा था तब मक्खियों न आक्रमणकारियों पर हमला कर दिया। इस घटना की स्मृति में वह स्थान आज भी भंवराथल नाम से प्रसिद्ध है।
  3. मंदाकिनी कुण्ड आबू पर्वतांचल में स्थित अनेक देव मंदिरों के कारण आबू पर्वत को हिन्दू ओलम्पस (देव पर्वत) कहा जाता है। इस कुंड के किनारे सिरोही के महाराव मानसिंह की छतरी है |

नागौर दुर्ग (नागौर) दर्शनीय स्थल

            नागौर दुर्ग को राजस्थान में खूबसूरत महल, छतरिया, रानी महल, शीश महल, बादल महल, नागौर किले के मुख्य 7 दरवाजे पहला द्वार लोहे और लकड़ी के नुकीले किलो से बनवाया था , दूसरा द्वार बिचलि पोल , तीसरा द्वार कचहरी पोल, चौथा सूरज पोल, पांचवा धुरति पोल, छठा रजपोल, सातवा द्वार न्यायपालिका के रूप से जाने जाते है। 

            इनके अलावा अन्य पर्यटक स्थल हैं तारकिन की दरगाह, Nagaur fort hotel, मीरा बाई की जन्मस्थली मेड़ता, कुचामन का किला, वीर अमर सिंह राठौड़ की छतरी, खिमसर किला (Khimsar fort nagaur) |

  1. अकबरी महल : अकबर जब नागौर में प्रवास करने के लिए आया था | इस दौरान अकबर के लिए अकबरी महल का निर्माण करवाया गया था। इसके अलावा महल में स्नानागार स्थित है जिसकी दीवारों पर भित्ति चित्र कण्डारित किये गए है। 
  2. दीपक महल : राजा और महाराजाओ के समय में होने वाले उत्त्सवों के दौरान रोशनी के लिए कई संख्या में दीपक जलाये जाते थे। यह उस समय जलाये जाने वाले दीपक का सबूत आज भी मिलता है।
  3. लाडनूं का इतिहास : राजस्थान राज्य के निर्माण से पहले जोधपुर राज्य कि सीमा पर बसा लाडनूं एक महत्वपूर्ण कस्बा हुआ करता था। इतिहासविदों और शिलालेखों के कहे अनुसार लाडनूं प्राचीन अहिछत्रपुर (Ahichhatrapur) का एक हिस्सा हुआ करता था। जहा नागवंशीय राजाओं ने करीब 2000 वर्षो तक अपना अधिकार स्थापित किया था। उसके पश्यात परमार राजपूतों राजा ने अपना अधिकार कर लिया और उनके पास से मुगल ने आधिपत्य जमाया था।



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