September 16, 2022

राजस्थान का एकीकरण

            जब राजस्थान अलग अलग राजाओं की रियासत में बंटा हुआ था तो अंग्रेजों ने इसका फायदा उठाकर सभी राजाओं को अपने अधीन कर लिया। कुछ राजाओं ने इसका विरोध भी किया किन्तु अधिकांश राजाओं ने अधीनता ही स्वीकार कर ली। फिर इन्ही शासकों द्वारा जनता पर अधिक कर वसूल कर के अत्याचार किया जाने लगे क्योंकि अंग्रेज सरकार भी राजाओं से कर वसूलती थी। इसी से तंग आकर धीरे धीरे जनता ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया और इस तरह जनता द्वारा स्वतंत्रता की मांग पर नई भारत सरकार द्वारा एकीकरण की पहल की गयी ।


            जहां तक राजस्थान के एकीकरण की बात करें तो इसे हवा दी थी सरदार वल्लभभाई पटेल ने जिसके प्रयासों से अखंड राजस्थान का निर्माण हुआ जो सात चरणों मे पूर्ण किया गया। 

भारत के संदर्भ में एकीकरण के पहलू:
  • भारत में एकीकरण का श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता है।
  • 1947 में रियासती विभाग का गठन किया गया, जिसके अध्यक्ष सरदार पटेल व सचिव VP मेनन को बनाया गया।
  • एक अखिल भारतीय देशी राज्य परिषद बनी जिसका अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू को बनाया गया।
  • भारत मे कुल 562 रियासतें थी जिनमें क्षेत्रफल की दृष्टि में सबसे बड़ी रियासत हैदराबाद रियासत थी।
राजस्थान के संदर्भ में एकीकरण के पहलू :
            एकीकरण के समय राजस्थान में कुल 19 रियासतें थी । इसके साथ 1 अजमेर-मेरवाड़ा केंद्र शासित प्रदेश भी था जिसका अधिकारी AGG होता था और 3 ठिकाणे हुआ करते थे। उन तीन ठिकणो में टोंक का लावा, अलवर का नीमराणा व बांसवाड़ा का कुशलगढ़ था।

            अजमेर की विधान सभा को "धारा सभा" कहा जाता था जिसमें 30 सदस्य हुआ करते थे जो 1950 से 1956 तक रही। अजमेर-मेरवाड़ा के प्रथम व एकमात्र मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय रहे।


राजस्थान के सन्दर्भ में कुछ अन्य बिंदु :
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत जोधपुर थी।
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान की सबसे छोटी रियासत शाहपुरा (भीलवाड़ा) थी।
  • जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत जयपुर थी।
  • जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान की सबसे छोटी रियासत शाहपुरा (भीलवाड़ा) थी।
  • राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासत टोंक थी।
  • राज्य में भरतपुर व धौलपुर दोनों जांट रियासतें थी।
  • राज्य की सबसे प्राचीन रियासत मेवाड़ थी, जो विश्व पटल पर भी सबसे प्राचीन रियासत थी।
  • राज्य की सबसे नवीनतम रियासत झालावाड़ थी।
  • सर्वप्रथम पूर्ण उत्तरदायी शासन करने वाली शाहपुरा रियासत थी।
  • सर्वप्रथम EIC से संधि करने वाली रियासत करौली थी जिसने 15 नवंबर 1817 को की गई थी। अंग्रेजों से सबसे बाद में संधि शिवसिंह के काल में  सिरोही ने 1823 में कई थी।
  • एकीकरण की प्रक्रिया में शामिल होने वाली पहली रियासत अलवर थी व सबसे अंतिम रियासत सिरोही थी।
  • एकीकरण के दौरान तेजसिंह (अलवर) को नजरबंद किया गया।
  • "मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ" ये शब्द चंद्रवीर सिंह (बांसवाड़ा) ने कहे।

राजस्थान यूनियन : राजस्थान यूनियन बनाने की मांग मेवाड़ के महाराणा भूपालसिंह ने रखी। इसमें राजपुताना, मालवा, गुजरात क्षेत्र को मिलाने की मांग 25 जून 1946 को राखी गयी | किन्तु सरकार का निर्णय रियासतों को खत्म कर राज्य बनाने का था जिसे राजस्थान का एकीकरण नाम दिया गया और इसे 7 चरणों मे सम्पन्न किया गया। जिसे पूरा करने में 8 वर्ष 7 माह 14 दिन लगे।

एकीकरण के चरण : 
            अब हम राजस्थान के एकीकरण के सातों चरणों को व्याख्यानुसार पढ़ेंगे।

पहला चरण : 18 मार्च 1948
  • इसमें "मत्स्य संघ" को बनाया गया जिसका नाम KM मुंशी के सुझाव पर रखा गया |
  • इसमें अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर जिले व नीमराणा ठिकाणा को शामिल किया गया |(4 रियासतें +1 ठिकाणा)
  • राजधानी : अलवर
  • राजप्रमुख : धौलपुर के महाराजा उदयभान सिंह 
  • उप-राजप्रमुख : करौली के राजा गणेशपाल वासुदेव 
  • प्रधानमन्त्री : अलवर प्रजामंडल के प्रमुख नेता श्री शोभाराम कुमावत
  • उप-प्रधानमंत्री : युगल किशोर चतुर्वेदी व गोपी लाल यादव
  • उदघाटन : नरहरिविष्णु गॉड गिल के द्वारा लोहागढ़ दुर्ग (भरतपुर) में किया गया |
  • क्षेत्रफल : 12000 वर्ग किमी
  • जनसंख्या : 18.38 लाख
  • वार्षिक आय : 184 लाख रूपए

दूसरा चरण : 25 मार्च 1948
  • इसमें "पूर्व राजस्थान संघ" को बनाया गया |
  • इसमें बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, शाहपुरा, झालावाड, कोटा, बूंदी, टोंक, किशनगढ़ रियासतों और लावा व किशनगढ़ ठिकाणा को शामिल किया गया |(9 रियासत +2 ठिकाणे)
  • राजधानी : कोटा
  • राजप्रमुख : कोटा के महाराव भीम सिंह
  • उप-राजप्रमुख (कनिष्ठ) : डूंगरपुर के महारावल लक्ष्मण सिंह 
  • उप-राजप्रमुख : बूंदी के महाराजा बहादुर सिंह, जिन्होंने अलग से हाडौती यूनियन की मांग की |
  • प्रधानमन्त्री : गोकुल लाल असावा
  • उदघाटन : नरहरिविष्णु गॉड गिल के द्वारा कोटा दुर्ग में
  • क्षेत्रफल : 16807 वर्ग किमी
  • जनसंख्या : 23.05 लाख
  • वार्षिक आय : 200 करोड़ रूपए

तीसरा चरण : 18 अप्रैल 1948
  • इसमें "संयुक्त राजस्थान" को बनाया गया | इसे मेवाड़ का विलय भी कहा जा सकता है | 
  • इसमें "पूर्व राजस्थान संघ" और उदयपुर रियासत को शामिल किया गया |{(9+1=10 रियासत)+ 2 ठिकाणे}
  • राजधानी : उदयपुर
  • राजप्रमुख : मेवाड़ के महाराणा भूपाल सिंह
  • उप-राजप्रमुख (कनिष्ठ) : बूंदी के महारावल लक्ष्मण सिंह
  • उप-राजप्रमुख : कोटा के महाराव भीम सिंह
  • प्रधानमन्त्री : माणिक्य लाल वर्मा
  • उप-प्रधानमंत्री : गोकुल लाल असावा
    नोट : प्रधानमन्त्री व उप-प्रधानमंत्री नेहरू जी की शिफारिश पर बनाए गए थे |
  • उदघाटन : नेहरू द्वारा कोटा में एतिहासिक महत्व कायम रखने हेतु
  • क्षेत्रफल : 29777 वर्ग किमी
  • जनसंख्या : 42,60,918
  • वार्षिक आय : 3016 करोड़ रूपए

चौथा चरण : 30 मार्च 1949
  • इसमें "वृहत राजस्थान" को बनाया गया |
  • इसमें "संयुक्त राजस्थान" + जैसलमेर, जोधपुर, जयपुर, बीकानेर को शामिल किया गया |{(10+4=14 रियासतें)+ 2 ठिकाणे}
  • राजधानी : जयपुर
  • महाराजप्रमुख : भूपाल सिंह
  • राजप्रमुख : जयपुर शासक मानसिंह-II
  • प्रधानमन्त्री : हीरालाल शास्त्री
  • उदघाटन : जयपुर के सिटी पैलेस / चन्द्रमहल में सरदार पटेल द्वारा किया गया |
  • फिर दूसरी अन्य रियासतों का महत्त्व बनाए रखने के लिए विभागों में बंटवारा हुआ :
    खनीज विभाग - उदयपुर
    कृषि विभाग - भरतपुर
    उच्च न्यायालय - जोधपुर
    वन एवं सहकारी विभाग - कोटा
    शिक्षा विभाग - बीकानेर

पांचवा चरण : 15 मई 1949
  • इसमें "संयुक्त वृहत राजस्थान" को बनाया गया | डॉ. शंकर देव राव समिति की सिफारिश को 1 मई 1949 में विज्ञप्ति दी व 15 मई 1949 को साकार हुई |
  • इस बार "वृहत राजस्थान" में "मत्स्य संघ" को भी मिला लिया गया |{(14+4=18 रियासतें) + (2+1=3 ठिकाणे)}
  • राजधानी : जयपुर
  • इसकी ख़ास बात यह थी की इसके पद व राजधानी ज्यों की त्यों रखी गयी |

छठा चरण : 26 जनवरी 1950
  • इसमें "राजस्थान संघ" को बनाया गया | इसी दिन भौगोलिक क्षेत्र को आधिकारिक राजस्थान नाम मिला |
  • इसमें "संयुक्त वृहत राजस्थान" के साथ सिरोही को भी शामिल किया गया |{(18+1=19 रियासतें) + 3 ठिकाणे}
  • राजधानी : जयपुर
  • इसमें राजधानी व पदों को तदानुसार रखा गया |
  • आबू-देलवाडा को छोड़कर एकमात्र बची रियासत सिरोही को मिलाया गया |

सातवां चरण : 1 नवंबर 1956
  • इसमें "आधुनिक राजस्थान" को बनाया गया जैसा वर्तमान स्वरुप में है | 
  • इसमें अजमेर-मेरवाडा, आबू-देलवाडा व मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले का सुनील टप्पा गाँव राजस्थान में शामिल किया गया तथा बदले में झालावाड का सिरोंज उपखंड मध्यप्रदेश को दिया गया |
  • इस दिन राजप्रमुख का पद समाप्त कर दिया गया और इसके स्थान पर राज्यपाल का पद सृजित किया गया |
  • मुख्यमंत्री : मोहनलाल सुखाडिया
  • प्रथम राज्यपाल : गुरुमुख निहाल सिंह 

            इस तरह सात चरणों के बाद एक सम्पूर्ण आधुनिक राजस्थान का निर्माण हुआ जिसमें वर्तमान समय में 33 जिले हैं | जिनको यदि क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाए तो सबसे बड़ा जिला जैसलमेर 38401 वर्ग किमी के साथ तथा सबसे छोटा जिला धौलपुर 3034 वर्ग किमी के साथ अवस्थित है |




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