झील :
झील जल का वह स्थिर भाग है जो चारो तरफ से स्थलखंडों से घिरा होता है। झील की दूसरी विशेषता उसका स्थायित्व है। सामान्य रूप से झील भूतल के वे विस्तृत गड्ढे हैं जिनमें जल भरा होता है। झीलों का जल प्रायः स्थिर होता है। वास्तव में झील प्राकृतिक एवं कृत्रिम रूप में जलाशयों का उदाहरण है | जो प्राय तालाब से गहरा होता है एवं यहाँ सूर्य का प्रकाश तल तक नहीं पहुँच पाटा है |
झीलों के प्रकार:
झीलों के प्रकार:
झीलें कई प्रकार से एक दूसरे से भिन्न होती हैं कुछ झीलें स्थाई होती है तो कुछ अस्थाई होती हैं। कुछ झीलें खारी होती हैं कुछ मीठे पानी की होती है, कुछ प्राकृतिक हैं तो कुछ मानव निर्मित हैं। इसलिए झीलों के बहुत प्रकार है। यहां परीक्षा की उपयोगिता हेतु झीलों को प्रकृति के आधार पर दो भागों में बांट रहे हैं एक खारी और एक मीठे पानी की।
राजस्थान में मीठे तथा खारे दोनों पानी की झीलें पायी जाती है। इनका विभाजन भी महान जल विभाजक रेखा अरावली पर्वत माला करती है। पश्चिमी भाग में ज्यादातर खारे पानी की खीलें पायी जाती है तथा पूर्वी भाग में मीठे पानी की झीलें पाए जाती है।
मुख्य बिंदु:-
प्लाया झील: रेगिस्तान के छोटे खड्डों में बनी झील रन/टाट/ढाढ एवं बड़े खड्डों में बनी झील है|
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राजस्थान में मीठे पानी की झीलें: ऐसी झीलें जिनमें जल का आगमन एवं निकासी दोनों हों मीठे पानी की झीलें कहलाती हैं |
1. जयसमंद झील (उदयपुर)
जयसमंद झील राजस्थान के उदयपुर में स्थित मीठे पानी की सबसे बड़ी कृत्रिम या मानव निर्मित झील है। इस झील में छोटे-बडे़ सात टापू है। इनमें सबसे बडे़ टापू का नाम बाबा का भागड़ा है और सबसे छोटे का नाम प्यारी है, इस टापू पर आइसलैंड रिसोर्ट नामक होटल बनाया जा रहा है, जिन पर भील व् मीणा जनजाति के लोग निवास करते हैं । इस झील में बाँध की पाल बनने से पहले गोमती, झावारी, रूपारेल और बागर नदियों का जल ढेबर दर्रे से होकर आता था इसलिए इस झील को ढेबर झील भी कहते है।
राजस्थान में मीठे तथा खारे दोनों पानी की झीलें पायी जाती है। इनका विभाजन भी महान जल विभाजक रेखा अरावली पर्वत माला करती है। पश्चिमी भाग में ज्यादातर खारे पानी की खीलें पायी जाती है तथा पूर्वी भाग में मीठे पानी की झीलें पाए जाती है।
मुख्य बिंदु:-
प्लाया झील: रेगिस्तान के छोटे खड्डों में बनी झील रन/टाट/ढाढ एवं बड़े खड्डों में बनी झील है|
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राजस्थान में मीठे पानी की झीलें: ऐसी झीलें जिनमें जल का आगमन एवं निकासी दोनों हों मीठे पानी की झीलें कहलाती हैं |
1. जयसमंद झील (उदयपुर)
जयसमंद झील राजस्थान के उदयपुर में स्थित मीठे पानी की सबसे बड़ी कृत्रिम या मानव निर्मित झील है। इस झील में छोटे-बडे़ सात टापू है। इनमें सबसे बडे़ टापू का नाम बाबा का भागड़ा है और सबसे छोटे का नाम प्यारी है, इस टापू पर आइसलैंड रिसोर्ट नामक होटल बनाया जा रहा है, जिन पर भील व् मीणा जनजाति के लोग निवास करते हैं । इस झील में बाँध की पाल बनने से पहले गोमती, झावारी, रूपारेल और बागर नदियों का जल ढेबर दर्रे से होकर आता था इसलिए इस झील को ढेबर झील भी कहते है।
यह झील उदयपुर शहर के दक्षिण पूर्व में 51 किमी दूर अवस्थित है | इस झील का निर्माण मेवाड़ के महाराणा जयसिंह ने सोम नदी की सहायक नदी गोमती नदी का पानी रोककर (1687-91) कराया गया। यह न्यूनतम 2 किमी व अधिकतम 8 किमी चौड़ी है | इसके पूर्व में लसाडिया का पठार है | जयसंमद झील से उदयपुर जिले को पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। जयसंमद झील को पर्यटन केन्द्र के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। आजादी के उपरान्त इस झील से श्यामपुरा नहर व भट्टा/भाट नामक दो नहरें भी निकाली गई है।
नोट : प्रथम सबसे बड़ी कृत्रिम या मानव निर्मित झील गोविन्द वल्लभ पन्त सागर छत्तीसगढ़ व उत्तरप्रदेश है |
2. राजसमंद झील (राजसमंद)
राजसमंद झील राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है | यह झील उदयपुर शहर के उत्तर में 64 किमी दूर राजसमन्द जिले में स्थित है | यह राजस्थान की दूसरी तात्कालिक समय की कृत्रिम झील है | पुष्कर झील के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा घोषित धार्मिक महत्त्व की झील है | इस झील का निर्माण मेवाड़ के महाराणा राजसिंह ने गोमती नदी का पानी रोककर (1662-76) इस झील का निर्माण करवाया गया।
इस झील का उतरी भाग “नौ चैकी” कहलाता है क्योंकि यहाँ संगमरमर की 9 के अनुपात में निर्मित सीढीयों की संरचना है । इसकी लम्बाई 999 फीट,, चौड़ाई 99 फीट व प्रत्येक सीढ़ी 9 इंच ऊंची व 9 फीट चौड़ी है |
यही पर 25 काले संगमरमर की चट्टानों पर मेवाड़ का इतिहास संस्कृत में उत्कीर्ण है। इसे राजप्रशस्ति कहते है जो की संसार की सबसे बड़ी प्रशस्ति है। राजप्रशस्ति अमरकाव्य वंशावली नामक संस्कृत भाषी पुस्तक पर आधारित है जिसके लेखक रणछोड़ भट्ट तैलंग है। राजसमंद झील किनारे घेवर माता का मन्दिर है जिसके द्वारा इस झील की नींव राखी गयी थी ।
3. पिछोला झील (उदयपुर)
यह झील उदयपुर में सीसरमा नदी के जल को रोककर निर्मित की गयी थी| उदयपुर में स्थित इस मीठे पानी की झील का निर्माण 14 वीं सदी में राणा लाखा के समय एक पिच्छू बंजारे ने अपने बैल की स्मृति में करवाया। इस झील के किनारे माचला मगरी की पहाड़ियां स्थित हैं जहां राजस्थान का दूसरा रोपवे निर्मित किया गया | इस झील का अतिरिक्त जल ही स्वरुप सागर में जाता है |
पिछौला झील में बने टापूओं पर जगमन्दिर (लैक पैलेस) व जगनिवास (लैक गार्डन पैलेस) महल बने हुए है।
- जगमंदिर : महाराणा करणसिंह ने 1620 में शुरू व जगत सिंह प्रथम ने 1651 में पूर्ण किया |
- जगनिवास : जगतसिंह-II द्वारा 1746 में बनवाया |
जगमन्दिर महल में ही 1857 ई. में राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान महाराणा स्वरूप ने नीमच की छावनी से भागकर आए 40 अंग्रेजो को शरण देकर क्रांन्तिकारियों से बचाया था। जगनिवास महल का निर्माण महाराणा जगत सिंह ने 1746 ई. में करवाया था।
4. आनासागर झील (अजमेर)
अजमेर शहर में नाग पहाड़ी के मध्य स्थित इस झील का निर्माण अजयराज के पुत्र (अर्णोराज) आनाजी ने 1137 ई. में करवाया। अजमेर की दो पहाड़ियों के मध्य स्थित होने के कारण यह झील अत्यन्त मनोरम दृष्य प्रस्तुत करती है | यह झील नागपहाड़ व तारागढ़ के मध्य स्थित है जिसका निर्माण तुर्कों की सेना के संहार के बाद खून से रंगी धरती को साफ़ करने के लिए अर्णोराज ने चंद्रा नदी के जल को रोककर करवाया |
अतः मुगलशासक जांहगीर ने इसके समीप दौलतबाग का निर्माण करवाया जिसे वर्तमान में सुभाष उद्यान कहते है। जांहगीर ने ही यहाँ चश्मा ऐ नूर झरना बनवाया। रूठी रानी का महल या नूरजहां का महल भी जांहगीर ने यहाँ बनवाया। शाहजहां ने यहा पर संगमरमर द्वारा 5 बारादरी का निर्माण करवाया ।
5. नक्की झील (सिरोही)
राजस्थान के सिरोही जिले मे माऊंट आबू पर्वत पर स्थित नक्की झील राजस्थान की सर्वाधिक ऊंचाई पर तथा सबसे गहरी व मीठे पानी की झील है। झील का निर्माण ज्वालामुखी क्रेटर से हुआ अर्थात यह एक प्राकृतिक झील है। यह झील गरासिया जनजाति का आध्यात्मिक केन्द्र है जिसमें ये लोग अपने पूर्वजों की अस्थियाँ विसर्जित करते हैं।
5. नक्की झील (सिरोही)
राजस्थान के सिरोही जिले मे माऊंट आबू पर्वत पर स्थित नक्की झील राजस्थान की सर्वाधिक ऊंचाई पर तथा सबसे गहरी व मीठे पानी की झील है। झील का निर्माण ज्वालामुखी क्रेटर से हुआ अर्थात यह एक प्राकृतिक झील है। यह झील गरासिया जनजाति का आध्यात्मिक केन्द्र है जिसमें ये लोग अपने पूर्वजों की अस्थियाँ विसर्जित करते हैं।
मान्यता के अनुसार इस झील की खुदाई देवताओं ने अपने नाखुनों से की थी अतः इसे नक्की झील कहा जाता है। इस झील में टापू है जिस पर रघुनाथ जी का मन्दिर बना है। इसके अलावा इस झील की किनारे अपर्दनात्मक आकृतियाँ हैं जिसके एक तरफ मेंढक जैसी चट्टान बनी हुई है जिसे “टॉड रॉक” कहा जाता है और एक चट्टान की आकृति महिला के समान है जिसे “नन रॉक” कहा जाता है। यहाँ एक अन्य पैरट रॉक भी है इसके अलावा यहाँ हाथी गुफा, चंम्पा गुफा, रामझरोखा अन्य दर्शनीय स्थल है। इसके समीप ही अम्बुजा देवी का मन्दिर स्थित है। अतः इस पर्वत को आबू पर्वत कहा जाता है।
6. पुष्कर झील (अजमेर)
राजस्थान के अजमेर जिले में अजमेर शहर से उत्तर की ओर 11 कि.मी. की दूरी पर पुष्कर झील का निर्माण ज्वालामुखी उद्भेदन से हुआ है इसलिए इसे कालाडेरा झील (भारत की दूसरी कालाडेरा झील लोनार महाराष्ट्र में है) भी कहते हैं। यह झील भी प्राकृतिक झील है। यह राजस्थान का सबसे पवित्र सरोवर माना जाता है। इसे आदितीर्थ / पांचनातीर्थ / कोंकणतीर्थ / तीर्थो का मामा / तीर्थराज / सबसे पवित्र व सर्वाधिक प्रदूषित झील भी कहा जाता है।
किवदन्ती के अनुसार इस झील का निर्माण ब्रह्माजी के हाथ से गिरे तीन कमल के पुष्पों से हुआ जिससे क्रमशः वरीष्ठ पुष्कर, मध्यम पुष्कर, कनिष्ठ पुष्कर का निर्माण हुआ। महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने यहां स्नान किया, महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की, विश्वामित्र ने यहां तपस्या कि व वेदों का यहां अंतिम रूप से संकलन हुआ। इस झील के चारों ओर अनेक प्राचीन मन्दिर है। इनमें ब्रह्माजी का मन्दिर सबसे प्राचीन है जिसका निर्माण 10 वीं शताब्दी में पंडित गोकुलचन्द पारीक ने करवाया था।
इसी मंदिर के सामने पहाड़ी पर ब्रह्मा जी की पत्नि सावित्री देवी का मन्दिर है। जिसमें माँ सरस्वती की प्रतिमा भी लगी हुई है। पुष्कर झील के चारों ओर 52 घाट बने हुए है। यहाँ सबसे बड़ा घाट “गौ घाट” है। इंग्लैंड की रानी “मेरी” ने यहाँ “मेरी जनाना” घाट भी बनवाया था जिसे वर्तमान में “गांधी घाट” कहा जाता है।
पुष्कर झील को स्वच्छ रखने हेतु 1997-98 में कनाडा के सहयोग से सफाई की गयी | यहाँ पर कार्तिक पूर्णिमा (नवम्बर) में राज्य का सबसे रंगीन मेला लगता है, जिसमे सर्वाधिक विदेशीआते हैं | यह मेला सर्वाधिक ऊँट बिक्री वाला मेला है |
7. फतहसागर झील (उदयपुर)
राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित इस मीठे पानी की झील का निर्माण मेवाड के शासक महाराणा जयसिंह ने 1687 ई. में करवाया। बाद में यह अतिवृष्टि होने के कारण नष्ट हो गई। तब इसका पुन:निर्माण 1888 में महाराजा फतेहसिंह ने अपने दौरे के उपलक्ष्य में देवली झील / तालाब पर कनोट बाँध का निर्माण करवाया तथा इसकी आधार शिला ड्यूक ऑफ़ कनोट द्वारा रखी गई। अतः इस झील को फतहसागर झील कहा गया। इस झील में मोरवानी नदी का जल आता है | इस झील के जल को रोकने के लिए निर्मित की गयी दीवार कर्नाट बाँध के नाम से जानी जाती है | इस झील में टापू है जिस पर नेहरू उद्यान बना हुआ है। इस झील के किनारे मोती मगरी पर महाराणा प्रताप म्यूजियम स्थित है |
फतहसागर झील में अहमदाबाद संस्थान ने 1975 में भारत की पहली सौर वैधषाला स्थापित की। इसी झील के समीप बेल्जियम निर्मित टेलिस्कोप की स्थापना सूर्य और उसकी गतिविधियों के अध्ययन के लिए की गई। फतहसागर झील से उदयपुर को पेय जल की आपूर्ति की जाती है।
नोट: पिछौला एवं फतहसागर का जल गुमानिया नाला होते हुए आयड नदी में जाता है | इनको जोड़ने वाली तंग झील को स्वरुप सागर कहा जाता है |
8. उदयसागर झील (उदयपुर)
यह उदयपुर शहर के पूर्व में स्थित है। इसका निर्माण (1559-1565 के मध्य) मेवाड के शासक उदयसिंह ने आयड़ नदी के पानी को रोककर करवाया। इस झील से निकलने के बाद आयड़ नदी का नाम बेड़च हो जाता है।
9. फॉयसागर झील (अजमेर)
यह अजमेर के दक्षिण में स्थित है। इसका निर्माण बाण्डी नदी (उत्पाती नदी) के पानी को रोककर इंजिनियर फॉय द्वारा करवाया गया | इसलिए इसे फॉय सागर कहते है। इसे सूखा एवं अकाल राहत परियोजना के रूप में अजमेर नगर परिषद् निर्मित किया गया |
10. कोलायत झील (बीकानेर)
राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित इस मीठे पानी की झील के समीप साख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का आश्रम है। इस आश्रम को “राजस्थान का सुन्दर मरूद्यान” भी कहा जाता है। यहीं पर कार्तिक मास की पूर्णिमा (नवम्बर) माह में मेला भरता है। इस झील में दीप जला कर अर्पण किया जाता है।
11. सिलीसेढ़ झील (अलवर)
यह झील अलवर शहर के उत्तर में दिल्ली जयपुर राजमार्ग पर 16 किमी दूर स्थित है। यह झील राजस्थान का नंदन कानन भी कहलाती है। इसके किनारे अलवर के महाराजा विनयसिंह ने 1845 में अपनी रानी के लिए एक शाही महल राजप्रसाद (लैक पैलेस) या एक शिकारगाह का निर्माण करवाया। यह झील व इसके आस पास का क्षेत्र सरिस्का अभ्यारण्य से लगता है |
12. बालसमंद झील (जोधपुर)
यह झील जोधपुर मण्डोर मार्ग पर स्थित है। इसका निर्माण 1159 ईस्वी में परिहार शासक बालकराव ने करवाया। इस झील के मध्य महाराजा सुरसिंह ने अष्ट खम्भा महल बनाया।
13. कायलाना झील (जोधपुर)
जोधपुर से 8 किमी पश्चिम में स्थित इस झील का निर्माण सर प्रताप ने करवाया। इस झील के किनारे माचिया सफारी पार्क मृगवन स्थित है।
14. स्वरुप सागर झील
यह पिछौला झील को फतह सागर झील से जोडती है | 1857 में महाराजा स्वरुप सिंह ने इसका निर्माण करवाया |
15. भूपाल सागर झील (चित्तौडगढ)
भूपालसागर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ शहर से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मेवाड़ रियासत के तत्कालीन महाराणा भूपालसिंह द्वारा यहाँ पर निर्मित एक विशाल तालाब है| कहा जाता है कि भूपालसागर स्थित तालाब का फैलाव एवं भराव क्षमता उदयपुर की फ़तेहसागर झील से भी ज़्यादा है। इस तालाब से आसपास के कई गांवों में सिंचाई व जल आपूर्ति की जाती है।
16. जलमहल झील (जयपुर)
जयपुर से आमेर के मार्ग पर आमेर की घाटी के नीचे कनक वृन्दावन एवं फूलों की घाटी के पास स्थित मानसागर झील जयसिंहपुरा खोर गाँव के ऊपर दो पहाडियों के बीच तंग घाटी को बांधकर जयपुर के महाराजाओं ने उसका निर्माण नैसर्गिक सौन्दर्य एवं मनोरंजन के लिए किया था |
17. गैबसागर (डूंगरपुर)
डूंगरपुर में स्थित महारावल गोपीनाथ द्वारा बनवाई गयी यह झील प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है |
18. गढ़सीसर सरोवर (जैसलमेर)
यह प्रवासी कुरंजा पक्षियों का आश्रय स्थल है |इसका निर्माण रावल गडसिसिंह ने 1340 में करवाया था |इस सरोवर के मुख्य प्रवेश द्वार स्थित विशाल द्वार टीला नामक वैश्या ने 1909 में निर्मित करवाया | इसके किनारे जैसलमेर लोक सांस्कृतिक संग्रहालय है |
19. नवलखा सागर (बूंदी)
बूंदी राजमहल के नीचे कटोरे के आकार की झील
20. जैतसागर झील (बूंदी)
20. जैतसागर झील (बूंदी)
शहर के उत्तरी द्वार के बाहर जीता मीणा द्वारा निर्मित झील | इस महल का निर्माण राव राजा विष्णु सिंह ने करवाया |
21. कनकसागर झील (बूंदी)
21. कनकसागर झील (बूंदी)
इसका दूसरा नाम दुगारी झील है |
22. मोती झील (भरतपुर)
रूपारेल नदी के जल को रोककर इसका निर्माण करवाया गया | इसे भरतपुर की लाइफ लाइन कहते हैं | इसमें प्रापोत नील हरित शैवाल से N2 युक्त खाद प्राप्त होती है |
राजस्थान की प्रमुख अन्य झीलों की जिलेवार सूची इस प्रकार है :
राजस्थान के प्रमुख तालाबों की जिलेवार सूची इस प्रकार है :
Other Links for Rajasthan GK: मेले, पशु मेले, RTDC मेले, लोक देवता, लोक देवियाँ |
22. मोती झील (भरतपुर)
रूपारेल नदी के जल को रोककर इसका निर्माण करवाया गया | इसे भरतपुर की लाइफ लाइन कहते हैं | इसमें प्रापोत नील हरित शैवाल से N2 युक्त खाद प्राप्त होती है |
राजस्थान की प्रमुख अन्य झीलों की जिलेवार सूची इस प्रकार है :
- जयपुर : छापरवाड़ा झील, जमवारामगढ़,
- अलवर : जयसागर, मानसरोवर, विजयसागर
- दौसा : कालख सागर
- धौलपुर : रामसागर, तालाबशाही
- करौली : नाग तलाई, जुग्गर, मामचेडी, नीदर
- सवाई माधोपुर : पांचना बाँध, मोरेल बाँध
- टोंक : बीसलपुर, टोरडी सागर
- बूंदी : सूरसागर
- कोटा : जवाहर सागर, किशोर सागर
- झालावाड : मानसरोवर
- बारां : उम्मेदसागर, अकलेश सागर
- भीलवाडा : मांडलताल, खारी बाँध, जैतपुरा बाँध
- चितौडगढ़ : राणा प्रताप सागर
- डूंगरपुर : सोमकमला
- बाँसवाड़ा : बजाज सागर बाँध, आनंद सागर झील, बाई तालाब झील
- जालौर : बांकली बाँध, बीथल बाँध
- पाली : सरदार समंद
- जैसलमेर : उम्मेदसागर, प्रतापसागर,
- जोधपुर : उम्मेदसागर, प्रतापसागर
- नागौर : भांकरी, मोलास
- सीकर : रायपुर बाँध
- झुंझुनू : अजीत सागर बाँध
- चुरू : ताल छापर झील
- हनुमानगढ़ : तलवाड़ा झील
- गंगानगर : शिवपुर हैड झील
- बीकानेर : अनूप सागर, गजना झील
राजस्थान के प्रमुख तालाबों की जिलेवार सूची इस प्रकार है :
- अलवर : पान्डूपोल जलप्रपात
- भरतपुर : पार्वती, बांध बारेठा तालाब
- रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) : सुखसागर तालाब, काला सागर तालाब, जंगली तालाब
- बूंदी : कीर्ति मोरी, बरडा, हिण्डोली तालाब
- भीलवाड़ा : सरेरी. खारी, मजा तालाब
- चित्तौडगढ : पद्मिनी तालाब, वान्किया, मुरालिया, सेनापानी तालाब
- उदयपुर : बागोलिया तालाब
- जैसलमेर : गढ़सीसर तालाब
- डूंगरपुर : एडवर्ड तालाब
- प्रतापगढ़ : रायपुर, गंधेर, खेरोत, घोतारसी, ढलमु, अचलपुर, जाजली, अचलावदा, सांखथली तथा तेज सागर तालाब
- पाली (सिरोही) : हेमावास, दांतीवाडा, मुथाना तालाब
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