कृषि किसे कहते है?
कृषि एक आर्थिक क्रिया है जिसे प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत रखा जाता है | इसमें एक इकाई भूमि पर निश्चित समय में प्राप्त ki गयी फसल प्राप्ति की क्रिया के रूप में देखा जाता है|
नोट: कृषि क्रिया के अंतर्गत फसल उगाना, पशुपालन, मत्स्य एवं वानिकी को भी शामिल किया गया है |
राजस्थान में फसलों के मुख्य प्रकार
- जीवन निर्वाह – खाद्यान्न फसलें (गेंहूं, मक्का, बाजरा, चावल
आदि) इसके अंतर्गत लगभग 40% कृषि आती है |
- गहन कृषि – खाद्यान्न फसलें (गेंहूं, मक्का, बाजरा, चावल
आदि)
- स्थानांतरित कृषि – राज्य में स्थानांतरित कृषि को वालरा कहा जाता
है जिसमें पर्वतीय ढलानों पर यह “चिमाता” एवं मैदानी भागों में “दजिया कहलाती है |
राज्य में झूम खेती मुख्यत: भील जनजाति द्वारा की जाती है यह विशेषकर उदयपुर, डूंगरपूर व बाँसवाड़ा जिले में की जाती है | जब इसे पर्यावरण की दृष्टि से देखा जाता है तो यह निकसान दायक होती है इसमें जंगलों को काटकर या जलाकर की जाती है जिसे Bush Fellow, Slash Burn या काटो एवं जलाओ भी कहा जाता है | - बागवानी – इसे हॉर्टिकल्चर भी कहा जाता है | फल, फूल, सब्जी, मशाले कि की
जाने वाली खेती है जिसमें राज्य का प्रथम स्थान है |
- व्यापारिक कृषि – बाजार के लिए की जाने वाली कृषि को इसके
अंतर्गत शामिल किया जाता है जैसे गन्ना, कपास, गवार आदि |
- शुष्क कृषि – इसके अंतर्गत 50cm से कम वर्षा वाली कृषि ही
शामिल की जाती है जैसे की मोटा अनाज – चना | इसमें मुख्यतः जीवन निर्वाह कृषि आती
है |
- जैविक कृषि – राज्य में वर्तमान स्तर पर देखें तो इसे अधिक
बढ़ावा दिया जा रहा है, इसके अंतर्गत –
(i) फसल चक्र को अपनाना
(ii) चूना खाद का उपयोग
(iii) वेर्मी कम्पोस्ट (केचुआ पाला)
(iv) गोबर खाद
(v) हरी खाद को शामिल किया गया है |
- राजस्थान की लगभग 62% जनसंख्या कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों पर निर्भर है
और 75.1% भाग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है |
- भारत के कुल कृषि क्षेत्र का लगभग 11% राजस्थान में योग्य भूमि है।
- राज्य के कुल पृष्ठ क्षेत्रफल का 50% सकल सिंचित व 30% भाग शुद्ध सिंचित क्षेत्र है।
- राजस्थान के कुल GVA (Gross Value Addition)
में कृषि क्षेत्र का योगदान द्वितीय सर्वाधिक योगदान है (29.45%)
- राजस्थान के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान स्थिति कीमतों पर 30% प्रतिशत है। (आर्थिक समीक्षा वर्ष 2021-22)
- भारत में एमएस स्वामीनाथन के प्रयासों से 1966-67 में हरित क्रांति शुरू हुई।
- राजस्थान भारत के कुल मोठ का 80%, मैथी में 70-80%, ग्वार का 77%, जीरे का 60%, धनिये का 50% उत्पादन करता है |
- राजस्थान में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर स्थिर कीमतों पर 5.26% दिखाई देती है अर्थात राजस्थान में कृषि क्षेत्र से जुडी गतिविधियों द्वारा कुल 1.77 लाख करोड़ रूपए मूल्य का सृजन किया गया |
- राज्य में कृषि एवं उससे जुड़े क्षेत्रों के द्वारा प्रचलित कीमतों पर
निम्न रूपों में योगदान है:
(अ) फसल क्षेत्र में – 48.26%
(ब) पशुधन क्षेत्र में – 42.62%
(स) वानिकी क्षेत्र में – 8.67%
(द) मत्स्य क्षेत्र में – 0.37%
- राजस्थान में सबसे भयंकर त्रिकाल (इस प्रकार के अकाल में अन्न, जल व चारे तीनों का अभाव हो जाता है।) छप्पणिये का काल/1866-69 में/ विक्रम संवत 1956 में
पड़ा।
- राज्य में बायो
डीजल के लिए जेट्रोफा रतनजोत पौधे की कृषि भी की
जाती है।
- रेगिस्तान में इजराइल
की सहायता से होहोबा(जोजोबा) की कृषि की
जाती है। जिससे व्यापारिक कृषि को बढाव दिया जा रहा है जिसमें खेती में विशेषकर जैतून एवं जैट्रोफा हैं |
- राजस्थान में अमेरिकन कपास का उत्पादन श्री गंगानगर जिले में होता है।
- कांगड़ी दक्षिणी राजस्थान के गरीब आदिवासी शुष्क क्षेत्रों की एक विशेष फसल है।
- राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केंद्र सेवर (भरतपुर) में स्थित है।
- राष्ट्रीय बीज मसाला अनुसंधान केंद्र तबीजी गांव (अजमेर) में है।
- राज्य का पहला कृषि रेडियो स्टेशन भीलवाड़ा में खोला गया।
- राज्य में निजी
क्षेत्र की पहली कृषि मंडी कैथून (कोटा) में
खोली गई है।
- केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान केंद्र काजरी जोधपुर में स्थित है शुष्क वन अनुसंधान संस्थान जोधपुर में स्थित है ।
- राज्य कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापुरा (जयपुर) में है।
- केंद्रीय कृषि फार्म सूरतगढ़ गंगानगर एशिया का सबसे बड़ा कृषि फार्म है।
- जैतसर एशिया का सबसे बड़ा यांत्रिक कृषि फार्म है। सोवियत संघ के सहयोग से स्थापित किया।
- जैतून के तेल के लिए बीकानेर के लूणकरणसर में रिफाईनरी लगाई गयी है|
- राज्य का बाजरे के उत्पादन व क्षेत्रफल दोनों दृष्टि से देश में प्रथम स्थान है।
- राजस्थान धनिया
जीरा मेथी उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर
है।
- राज्य में सर्वाधिक
फल गंगानगर और सर्वाधिक मसाले बारां में
उत्पादित होते हैं।
- जालौर जिले में विश्व का 40% इसबगोल उत्पादित होता है।
- फल, फूल, सब्जी, मशाले की खेती में राज्य का प्रथम स्थान है |
- राजस्थान भारत के कुल मोठ का 80%, मैथी में 70-80%, ग्वार का 77%, जीरे का 60%, धनिये का 50% उत्पादन करता है |
- भारत का तिलहन उत्पादन की दृष्टि से प्रथम स्थान है
वहीँ राजस्थान
का देश में दूसरा स्थान है।
- स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर
- महाराणा प्रताप कृषि तकनीकी विश्वविद्यालय, उदयपुर
- कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर
- कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर
जयपुर
- कृषि विश्वविद्यालय, कोटा
- केंद्रीय शुष्क क्षेत्र उद्यानिकी अनुसंधान केंद्र, बीकानेर
- खरीफ की फसल –
यह मानसून के समय की जाने वाली फसल है जिसका बुआई का समय जून-जुलाई व कटाई का समय
सितम्बर-अक्टूबर रहता है | इसे सावणु फसल, स्यालू फसल भी कहते हैं | इसे वर्षा जल
पर निर्भरता के कारण बरानी कृषि भी कहते हैं | इस फसल के अंतर्गत कुल बोये गए
क्षेत्र का 60-65% भाग आता है | इसके अंतर्गत सर्वाधिक उत्पादन खाद्यान्न में
बाजरा का एवं दलहन में मूंग-मोठ होता है |
मुख्य फसलें – बाजरा, ग्वार, मक्का, ज्वार, चावल, गन्ना, जूट, मूंगफली, मूंग, सोयाबीन, मोठ, उड़द, तिल, अरंडी, अरहर, कपास, आलू | - रबी की फसल –
इस फसल के बुआई का समय अक्टूबर-नवम्बर व कटाई का समय मार्च-अप्रैल रहता है | इसे
उद्यालू या सिंचित कृषि भी कहते हैं | इसमें कुल बुवाई क्षेत्र का 30-35% भाग आता
है | इसमें खाद्यान फसलों में सर्वाधिक उत्पादन गेहूं का तथा दालों में चना का
होता है |
मुख्य फसलें – गेंहूं, जौ, सरसों, चना, राई, तारामीरा, जीरा, ईसबगोल, धनिया, लहसून, मेथी, सौंफ, मसूर, सूरजमुखी, अलसी, अफीम, मटर, अदरक, हल्दी | - जायद की फसल –
यह रबी एवं खरीफ के मध्य की फसल है जो मार्च से जून के मध्य बोई जाती है | इसमें
मुख्यतः नगदी स्वरुप की फसल ही आती है जिसमें खरबूज, तरबूज, ककड़ी, सब्जियां
इत्यादि |
- खाद्यान्न – चावल, गेंहूं, जौ, बाजरा, ज्वार, मक्का
- तिलहन – सोयाबीन, सरसों, राई, तिल, तारामीरा, मूंगफली, अरंडी, अलसी
- दलहन – चना, मूंग, मोठ, उड़द, मसूर, सोयाबीन, अरहर
- पेय – चाय, कहवा, तम्बाकू, गांजा, भांग
- रेशे – कपास, जूट, सण
- मशाले – जीरा, धनिया, हल्दी, मिर्च, मेथी, लहसून
- व्यापारिक – कपास, ग्वार, गन्ना, अफीम
- राजस्थान में कुल खाद्यान उत्पादन – 271.33 लाख मीट्रिक टन (+2.08%)
-
रबी में कुल उत्पादन –
160.91 (-8.99% कमी)
-
खरीफ में कुल उत्पादन – 110.42
(+24.05% बढ़ोतरी)
- दलहन में कुल उत्पादन – 48.88%
- तिलहन में कुल उत्पादन – 87.15%
-
गन्ना में कुल उत्पादन – 2.84
(-12.88% कमी)
-
कपास में कुल उत्पादन – 28.33 लाख (मांठे) (+1.61% बढ़ोतरी)
नोट: 1 मांठे = 170 किलो
सेरी कल्चर – रेशम उत्पादन पीसी कल्चर – मछली पालन
एपी कल्चर – मधुमक्खी पालन विटी कल्चर – अंगूर उत्पादन
वर्मी कल्चर – केचुआ पालन होर्टी कल्चर – बागवानी
फ्लोरी कल्चर – फूल उत्पादन पोमो कल्चर - फल उत्पादन
ओलेरी कल्चर – सब्जी उत्पादन ओलिव कल्चर – जैतून की खेती
सिल्वी कल्चर – वन एग्रोस्टोलोजी – घासों का अध्यन
हरित क्रान्ति – अनाज उत्पादन नील क्रान्ति – मछली उत्पादन
पीली क्रान्ति – सरसों व तिलहन स्वेत क्रान्ति – दुग्द उत्पादन
लाल क्रान्ति – मांस व टमाटर बादामी क्रान्ति – मसाले उत्पादन
गुलाबी क्रान्ति – झींगा/प्याज उत्पादन कृष्ण क्रान्ति – पेट्रोलियम
रजत क्रान्ति – अंडा उत्पादन गोल क्रान्ति – आलू उत्पादन
धूसर क्रान्ति – सीमेंट उत्पादन / उर्वरक सनराइज – इलेक्ट्रॉनिक्स
अमृत क्रान्ति – नदी जोड़ो इंद्रधनुष क्रान्ति – सभी पर निगरानी
सदाबहार क्रान्ति – जैविक कृषि ग्रीन गोल्ड क्रान्ति – चाय
वाइट गोल्ड क्रान्ति – कपास / Silver Fibre
- सर्वाधिक बुआई – श्रीगंगानगर
- सर्वाधिक उत्पादन - श्रीगंगानगर
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - बारां
- महत्वपूर्ण बिंदु – इसकी मुख्य किस्में सोनालिका, सोना कल्याण, मैक्सिकन, लाल बहादुर, कोहिनूर, मंगला आदि हैं | गेंहू उत्पादन में राजस्थान का पांचवा स्थान है, जबकि पंजाब प्रथम स्थान पर है। यदि मात्रा की दृष्टि से देखें तो राजस्थान में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है।
- सर्वाधिक बुआई - श्रीगंगानगर
- सर्वाधिक उत्पादन - श्रीगंगानगर
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - करौली
- महत्वपूर्ण बिंदु – गन्ना उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है |
- सर्वाधिक बुआई - श्रीगंगानगर
- सर्वाधिक उत्पादन - श्रीगंगानगर
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - श्रीगंगानगर
- महत्वपूर्ण बिंदु – जौ क्षेत्र में भारत में राजस्थान का दूसरा स्थान है | देश के कुल उत्पादन
का 29% उत्पादन राजस्थान में ही होता है।
- सर्वाधिक बुआई - हनुमानगढ़
- सर्वाधिक उत्पादन - श्रीगंगानगर
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - श्रीगंगानगर
- महत्वपूर्ण बिंदु – कपास
के सन्दर्भ में विश्व में भारत का प्रथम स्थान है |
- सर्वाधिक बुआई - बीकानेर
- सर्वाधिक उत्पादन - श्रीगंगानगर
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - करौली
- महत्वपूर्ण बिंदु - इसकी
किस्मे दुर्गाबिहार, दुर्गापुरा, दुर्गा जय, सफ़ेद आदि हैं |
- सर्वाधिक बुआई - बीकानेर
- सर्वाधिक उत्पादन - बीकानेर
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - बीकानेर
- महत्वपूर्ण बिंदु – राज्य
में मूंगफली उत्पादन के कारण लूणकरणसर को राजस्थान का राजकोट भी
कहते है
- सर्वाधिक बुआई - बीकानेर
- सर्वाधिक उत्पादन – बीकानेर, जैसलमेर
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - सवाईमाधोपुर
- महत्वपूर्ण बिंदु - राजस्थान का उत्पादन की दृष्टि से दूसरा स्थान है |
- सर्वाधिक बुआई - चुरू
- सर्वाधिक उत्पादन – चरु, बीकानेर
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - सीकर
- महत्वपूर्ण बिंदु – राजस्थान
में सर्वाधिक क्षेत्रफल में बोई जाती है |
- सर्वाधिक बुआई - सीकर
- सर्वाधिक उत्पादन – झुंझुनू, सीकर
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) – करौली
- सर्वाधिक बुवाई - जयपुर
- सर्वाधिक उत्पादन - जयपुर
- सर्वाधिक बुआई - टोंक
- सर्वाधिक उत्पादन - अलवर
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - धौलपुर
- महत्वपूर्ण बिंदु - राजस्थान
का देश में प्रथम स्थान है |
- सर्वाधिक बुवाई - नागौर
- सर्वाधिक उत्पादन - नागौर
- सर्वाधिक बुआई - नागौर
- सर्वाधिक उत्पादन – नागौर, जोधपुर
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - सीकर
- महत्वपूर्ण बिंदु – इसका क्षेत्रीय
नाम हरिया है |
- सर्वाधिक बुआई - अजमेर
- सर्वाधिक उत्पादन – अजमेर, पाली
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - कोटा
- महत्वपूर्ण बिंदु - राजस्थान
का उत्पादन में 5वां स्थान है |
- सर्वाधिक बुआई - बूंदी
- सर्वाधिक उत्पादन - बूंदी
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) – सवाई माधोपुर
- महत्वपूर्ण बिंदु – इसकी मुख्य किस्मों
में माही, सुगंधा, बासमती, परमल, कावेरी, मेघा आती हैं | इसके मुख्य उत्पादक जिलों की और देखें
तो हनुमानगढ़ गंगानगर बारां बूंदी कोटा प्रमुखत: शामिल किये जाते हैं |
नोट: चावल उत्पादन में भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है। भारत में सर्वाधिक चावल पश्चिम बंगाल एवं उत्तर प्रदेश में होता है।
- सर्वाधिक बुआई - बूंदी
- सर्वाधिक उत्पादन – बूंदी, कोटा
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - सीकर
नोट: इससे भूमि की उर्वरक क्षमता बढ़ती है।
- सर्वाधिक बुआई - बूंदी
- सर्वाधिक उत्पादन – बूंदी, प्रतापगढ़
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - प्रतापगढ़
- महत्वपूर्ण बिंदु - ऐसी
दाल जो रबी की फसल है (अधिकांश दालें खरीफ की फसल होती है)।
- सर्वाधिक बुआई - बारां
- सर्वाधिक उत्पादन - बारां
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) – सवाईमाधोपुर
- सर्वाधिक बुआई - भीलवाडा
- सर्वाधिक उत्पादन - भीलवाडा
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - सिरोही
- महत्वपूर्ण बिंदु – इसकी
मुख्य किस्में माही कंचन, माही धवल, सविता हैं |
- सर्वाधिक उत्पादन - पाली
- महत्वपूर्ण बिंदु – राजस्थान का
देश में पांचवा स्थान है |
- सर्वाधिक बुआई - बाड़मेर
- सर्वाधिक उत्पादन – अलवर
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - धौलपुर
- महत्वपूर्ण बिंदु – उत्पादन
एवं क्षेत्रफल की दृष्टि से देश में प्रथम स्थान। राजस्थान में देश के कुल उत्पादन
का 33% बाजरा उत्पन्न होता है वही यहाँ कुल कृषि भूमि के एक चौथाई
भाग पर बोया जाता है।
- सर्वाधिक उत्पादन - बाड़मेर
- सर्वाधिक बुआई - बाँसवाड़ा
- सर्वाधिक उत्पादन – श्रीगंगानगर, उदयपुर
- सर्वाधिक/हेक्टेयर उत्पादन (क्षेत्र में) - श्रीगंगानगर
- महत्वपूर्ण बिंदु – इसका क्षेत्रीय
नाम अरौड़ है |
राजस्थान की महत्वपूर्ण कृषि मण्डियां
- कीन्नू व माल्टा मंडी – श्रीगंगानगर
- मूंगफली मंडी - बीकानेर
- अमरूद मंडी - सवाई माधोपुर
- प्याज मंडी – अलवर
- टमाटर मंडी - बस्सी (जयपुर)
- मटर (बसेडी) - बसेड़ी (जयपुर)
- टिण्डा मंडी - शाहपुरा (जयपुर)
- आंवला मंडी - चोमू (जयपुर)
- मिर्च मंडी - टोंक
- धनिया मंडी - रामगंज (कोटा)
- फूल मंडी – अजमेर
- जीरा मंडी - मेडता सिटी (नागौर)
- लहसून मंडी - छीपा बाडौद (बांरा)
- सतरा मंडी - भवानी मंडी (झालावाड)
- अखगंधा मंडी - झालरापाटन (झालावाड)
- ईसबगोल(घोडाजीरा) मंडी - भीनमाल (जालौर)
- मेहंदी मंडी - सोजत (पाली)
- सोनामुखी मंडी - सोजत (पाली)
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना : प्राकृतिक आपदाओं, कृमियों, रोगों या अन्य कारणों से फसल के नस्ट होने पर फसल बीमा एवं वित्तीय सहायता इसके अंतर्गत रबी की 9 एवं खरीफ की 11 फसलों को शामिल किया गया है।
- निर्मल ग्राम योजना : इस योजना को वर्ष 1999 – 2000 में प्रारम्भ किया गया जिसके अंतर्गत गाँव के कचरे का इस्तेमाल कम्पोस्ट खाद बनाने के रूप करना है।
- सहकारी किसान योजना : यह योजना 29 जनवरी 1999 में प्रारम्भ की गयी।
- किसान स्वस्थ्य सुरक्षा योजना : यह योजना १ अप्रेल 2006 को लागु की गयी। इसके अंतर्गत किसान 1 लाख रुपये तक शल्य चिकित्सा करवा सकते है। इस योजना के तहत धारक को एक राजकार्ड उपलब्ध कराया गया है।
- राष्ट्रीय बम्बू मिशन : बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए 12 जिलों बांसवाड़ा, बारां, चित्तौडग़ढ़, राजसमंद, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा, डूंगरपुर,झालावाड़,करौली,सवाईमाधोपुर, सिरोही, उदयपुरमें इस योजना को लागू किया गया।